मुन्नवर राणा अब मुगलिया धंधे में कूद चुका है

ये हम नहीं कह रहे, खुद मुनव्वर राना कह रहा है।

इस्लामिक आतंकी सोच का मशहूर ब्रीडिंग मास्टर मुनव्वर राणा अब नए धंधे में हाथ आजमा रहा है।

धंधा क्या दल्ला गिरी कहिए हुजूर!

वैसे इस्लामिक आतंकियों का सबसे पसन्दीदा काम है जो मुन्नवर ने शुरू किया है। बाबर से लेकर, औरंगजेब और तैमूर से लेकर मोहम्मद गौरी तक आखिरी में बस एक दल्ला ही बनकर रह गए थे।

उसी मुगलिया खानदान की शान में चुटकुले लिखने वाला मुन्नवर राणा अब मुगलिया धंधे में कूद चुका है।

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मुन्नवर राणा ने बड़े डिटेल में रं#* के रेट के बारे में अपने गहरे अनुभव साझा किए। आज भी मुल्क में कुछ लोग मुन्नवर को शायर मानते हैं, कुछ लोग मानते हैं कि चोरी के शेरो को पढ़कर, हिंदुओ को गाली देकर नाम कमाने और इनाम पाने में माहिर मुन्नवर एक शायर के तौर पर जाना जाए।

पर रंगे सियार का रंग, आमिर की जेहादी सोच और मुनव्वर का असली धंधा आखिर कब तक छिपता? मुनव्वर खुद ही बोल उठा।

वैसे अगर ध्यान से देखा जाए, तो रं#* कौन? वो जो मजबूरी में शरीर बेचती हैं या ये मुनव्वर जो शेर बेचता है आतंक के लिए, जिहाद के लिए, देश की खिलाफत के लिए, हिन्दू समाज से नफरत के लिए।

कहीं जिस रं*#* के दामों की बात मुनव्वर कर रहा है वो …वो ही तो नहीं जो पैसों के लिए शेर और कविता के माध्यम से देश और धर्म को गालियां देने का धंधा करती हैं।

खैर मुनव्वर , याद रखना, तुम शायर के तौर पर नहीं, रं#* के रेट के विशेषज्ञ के रूप में याद किए जाओगे…

चलो फूटो मियाँ…!

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.