आप लौह जाल का परकोटा बनाकर वृक्ष को हिंस्र पशुओं से तो बचा सकते हैं लेकिन तल में पलती दीमक से नहीं।

पड़ौसी देशों से घुसपैठ करने वाले मुस्लिम ऐसी ही दीमक हैं।
रोहिंग्या मुसलमान, जिन्हें पूरी दुनिया ठुकरा चुकी है, टुकड़े गैंग और सेक्यूलर बिरादरी के लिए उनकी छाती में दूध उतर आता है और भारत आज भी उनके लिए अभ्यारण्य जैसा है।

दुनिया के सभी मुस्लिम देशों की तरह बंग्लादेश भी मुस्लिम देश होते हुए भी अपने देश में बसे10 लाख के करीब रोहिंग्या मुसलमानों से छुटकारा पाने की कोशिश में है।

बंगलादेश ने मानवाधिकार संगठनों की परवाह न करते हुए 7 जलपोतों में भरकर 1642 रोहिंग्या मुस्लिमों को “भाषण चार” नामक निर्जन टापू पर भेज दिया!
जहाँ चारों तरफ पानी ही पानी है!

इसके बाद बाकी बचे रोहिंग्या मुसलमानों को चरणबद्ध ढ़ंग से देश के बाहर धकेलने की तैयारी है!
कई मानवाधिकार संगठन चिल्ला-चिल्ला कर इसका विरोध कर रहे हैं लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने इसकी परवाह नहीं की।

विदित रहे अक्सर बाढ़ग्रस्त रहने वाला भाषण चार द्वीप 20 वर्ष पहले ही अस्तित्व में आया है,जहाँ सामान्य जीवन जीने में कई कठिनाईयों का सामान करना पड़ता है! संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार अन्वेषकों ने कहा हैं, कि भाषण चार टापू, रहने योग्य नहीं है, यहां रोहिंग्याओं का जीवन ख़तरे में पड़ जाएगा, लेकिन बंग्लादेश अपने निर्णय पर इसलिए अडिग हैं,क्योंकि वहाँ भारत की तरह संदिग्ध विपक्ष नहीं है!

यहाँ शासन ने विगत 40 वर्षों में स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद लगभग 5 करोड़ बंग्लादेशी घुसपैठियों को चरणबद्ध ढंग से भारत के नागरिक बनाने में सहयोग किया है!

भारतीय मूल के कश्मीरी पंडितों को दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर करने वाली कांग्रेस/पीडीपी और नेकां ने आतंकवाद ग्रस्त कशमीरी इलाके में रोहिंग्या मुसलमानों के लिए बस्तियाँ बनाने का काम उन एनजीओ के सहयोग से प्रारंभ कर दिया था, जिनके सम्बन्ध यूएई और पाकिस्तान से पाए गए!

यदि कश्मीर में धारा 370/35ए का समय रहते अंत नहीं हुआ होता तो मुस्लिम आतंकवाद से लहुलुहान जम्मू कश्मीर में रोहिंग्याओं को बसाने की प्रक्रिया और तेज होती और कांग्रेस,नेकां और पीडीपी का वर्षों पुराना सपना #हिंदुविहीनजम्मूकश्मीर साकार हो जाता!

यह बहुत पीड़ाजनक है कि आज भी बंगाल, केरल, मुस्लिम बाहुल्य झुग्गी पट्टियां और समुद्री किनारे इन अवैध घुसपैठियों की शरणस्थली हैं और भारत का बहुत बड़ा वर्ग उनके समर्थन में है!!

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.