देश की राजधानी दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थी के लिए बस्ती बसाई जा रही है तो दूसरी तरफ मुस्लिम मुल्क बंग्लादेश ने रोहिंग्या को एक ऐसे निर्जन टापू पर भेज दिया है जहां कोई नहीं जाता, जहां कोई बसावट नहीं है, जहां चक्रवात उठते रहते हैं और तेज लहरें पूरे टापू में समा जाती हैं। बंगाल की खाड़ी में एक इलाका ऐसा है जहां सिर्फ एक चक्रवात पूरी जमीन को डुबो सकता है। इस साल से पहले वहां कोई नहीं रहता था लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने ऐसा कदम उठाया है जिससे हजारों जानें मुश्किल में आ गई हैं। म्यांमार में जारी हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश में शरण लेने पहुंचे शरणार्थियों को भसन चार टापू पर भेजा जा रहा है। 

ऐमनेस्टी इंटरनैशनल के दक्षिण एशियाई कैंपेनर साद हम्मादी ने कहा है कि ऐसी जगह पर रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजना मानवाधिकारों पर चिंता पैदा करता है जहां आज भी पत्रकार या मानवाधिकार कार्यकर्ता बिना इजाजत के नहीं जा सकते हैं। उन्होंने दावा किया है कि ऐसे कई रोहिंग्या हैं जिन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ पुनर्स्थापित किया गया है। 

बांग्लादेश सरकार का कहना है कि उसकी योजना एक लाख रोहिंग्याओं को भसन चार भेजने की है जिसे बांग्ला में ‘तैरता टापू’ भी कहते हैं। इसे रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 2017 के बाद से बढ़ने लगी है। बांग्लादेश के शहर कॉक्स बाजार के पास तट पर कैंप बढ़ते चले गए जिससे आबादी बढ़ने लगी। इस कारण भूस्खलन और बाढ़ के साथ-साथ सीमित संसाधनों के लिए हिंसा भी होने लगी। वहीं, पास के जंगलों में रहने वाले हाथी इन कैंप से होकर गुजरने लगे जो उनके रास्ते में आते थे। 

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