दिल्ली में हनुमान जी के मंदिर को तोड़ने के पीछे की साजिश पर गौर करना जरूरी है। आप सोचिए कि ‘शाहजहानाबाद पुनर्वास निगम’…. मुगलिया नाम रखने की ज़रूरत क्यों आन पड़ी… राज्य सरकार को ? नाम ‘दिल्ली पुनर्विकास निगम’ भी रखा जा सकता था ! मगर यह वही सपना है,जो दिल्ली सरकार के खास समुदाय के मंत्री,विधायक और जामा मस्जिद क्षेत्र के लोग देखते रहे हैं ! वह दिल्ली को इंद्रप्रस्थ के रूप में देखने के इच्छुक नहीं थे,उनका असली सपना दिल्ली को शाहजहानाबाद के रूप देखना है, इस निगम को बना कर… उन लोगों को संतुष्ट किया गया है,जो भारत तक के नाम से संतुष्ट नहीं हैं…।


             साज़िश को अंजाम देना शुरू किया गया, लक्ष्मी नारायण मंदिर के बहुत पुराने निर्माण ‘प्याऊ’ को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ा दिया गया… प्याऊ गुरुद्वारा शीशगंज का भी तोड़ा गया,मगर 10 दिन में फिर से बन कर तैयार हो गया… लक्ष्मी नारायण मंदिर का प्याऊ फिर से कौन बनवाये ? … मन्दिर तो टूटने के लिए ही होते हैं….।


               3 तारीख को तोड़ा गया मन्दिर 65 साल पुराना था, दिल्ली के मास्टर प्लान से भी पुराना ! उत्तरी दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (NDMC) और शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम ने चांदनी चौक में 5 ढांचों की समीक्षा की थी,मगर तोड़ा सिर्फ मन्दिर ही गया ! मन्दिर समिति ने हाईकोर्ट में क्योरेटिव पिटीशन में कहा कि उनका पक्ष भी सुना जाए तो हाईकोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली सरकार का इस मामले में पक्ष सुनेगी ! दिल्ली सरकार जो खुद मन्दिरों को अतिक्रमण मानती है,वह क्यों हनुमान मंदिर को बचाने के लिए कोर्ट में खड़ी होती ?         

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