विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर , विश्व हिन्दू महासभा ने अपने ग्वालियर स्थित मुख्यालय में “गोडसे ज्ञान शाला ” नामक पुस्तकालय -सन्दर्भ दीर्घा को विधिवत रूप से स्थापित कर दिया।

महासभा के उपाध्यक्ष श्री जयवीर भारद्वाज ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए कहा कि अब बदलते हुए समय और परिवेश में वर्तमान से लेकर भविष्य तक की आने वाली नस्लें भी अपने इतिहास , संस्कृति ,परम्परा पर न सिर्फ शोध और विमर्श कर रही हैं बल्कि उनका आकलन विश्लेषण करके उन्हें नई कसौटियों पर परखने को उद्धत भी हैं।

भारत में पिछले कुछ वर्षों में अपने देश के प्रति लोगों का अचानक उभरा राष्ट्रवाद न सिर्फ देश की राजनीति और राजनेताओं के लिए नया सबक बन कर सामने आया बल्कि विश्व जो बहुत दिनों से एक केंद्र एक धुरी की स्वाभाविक सी खोज में था भारत अपने आप उसके लिए उपयुक्त हो गया।

इतिहास की किताबों से लेकर पढ़े और पढ़ाए गए हर चरित्र , घटना , फैसलों ,परिवर्तनों को आज के युवा एक नए दृष्टिकोण एक नए अन्वेषी नज़रिये से देख रहे हैं। पंडित नाथूराम गोडसे जैसे प्रखर राष्ट्रवादी और अपनी मातृभूमि को अपने जीवन से अधिक प्रिय समझने वाले दार्शनिक मन पंडित गोडसे को किन परिस्थतियों में गाँधी वध का वो निर्णय लेना पड़ा।

गोडसे और उन जैसे तमाम राष्ट्रवादियों की सोच और शब्दों को सहेजने के लिए ही ग्वालियर में हिन्दू महासभा ने गोडसे जीवन दर्शन को देश और समाज के सामने रखने के उद्देश्य से ही इस ज्ञानशाला को स्थापित किया है।

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