अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) भारतीय छात्र संघ की जन्मभूमि है और यह देशभर में छात्रों के मस्तिष्क में राष्ट्रीय और सामाजिक उत्थान की चेतना जगाने का कार्य करती है। इसकी स्थापना 1948 में हुई और तब से लेकर आज तक, इस संगठन ने अपने सामरिक, वैचारिक और सामाजिक योगदानों के माध्यम से देश की युवा पीढ़ी को निरंतर प्रेरित किया है। अभाविप की यात्रा इसके स्थापना से ही उत्साहजनक रही है। इस संगठन ने देश के विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में अपनी मौजूदगी को मज़बूत किया है और छात्रों को राष्ट्रीयता, सामरिक ब्रद्धि और सामाजिक न्याय के मूल्यों के साथ संपन्न करने में मदद की है। इसके सदस्य छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम के समय भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और छात्र आंदोलनों के दौरान इसकी अगुवाई की है। अभाविप की यात्रा में बड़ी उच्चारणात्मक और वैचारिक सफलताएँ हुई हैं। यह छात्रों के लिए नेतृत्व की विकास करती है, उन्नति के लिए स्वामित्व की भावना को प्रोत्साहित करती है और सामाजिक उत्थान के लिए साझी जिम्मेदारी लेती है। इसका मकसद राष्ट्रीय एकता और शक्ति के साथ समर्पित युवा पीढ़ी का निर्माण करना है। अभाविप की यात्रा अब तक न केवल छात्रों को एक मज़बूत और जागरूक संगठन में बदला है, बल्कि इसने उन्हें समाज के उच्चतम पदों तक ले जाने का भी रास्ता दिखाया है। यह अपने विचारों और कार्यक्रमों के माध्यम से आज भी छात्रों के बीच महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें प्रेरित कर रहा है।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) की विचारधारा है राष्ट्रवादी, सामाजिक न्यायप्रिय और राष्ट्रीय एकता के पक्षधर। इसका मकसद छात्रों को राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में सकारात्मक योगदान देना है। यह संगठन छात्रों को राष्ट्रीयता, संस्कृति, स्वाधीनता, शिक्षा और शक्ति के महत्त्व को समझाता है। अभाविप की विचारधारा बालिदान, सेवा और उच्चतम आदर्शों का समर्थन करती है और छात्रों को एक सशक्त और न्यायप्रिय समाज का निर्माण करने के लिए प्रेरित करती है।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) ने अपनी यात्रा में कई महत्त्वपूर्ण सफलताएँ हासिल की हैं:

 

1) छात्र संगठन की मजबूती: अभाविप ने अपने संगठन को देशभर में मज़बूत बनाया है और छात्रों के बीच एक मान्यता प्राप्त की है। यह छात्रों के विचारों और मांगों को सुनता है और उनके हितों की रक्षा करने में मदद करता है।

2) योग्यता का प्रमाण: अभाविप के सदस्यों ने अपनी योग्यता का प्रमाण दिया है और विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर सेवा की है। वे राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

3) छात्र आंदोलनों की अगुवाई: अभाविप ने विभिन्न छात्र आंदोलनों की अगुवाई की है और छात्रों के हित के लिए संघर्ष किया है। इसके सदस्यों ने छात्र आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई है, जैसे कि अपराध प्रबंधन, शिक्षा नीति और छात्रवृत्ति।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) की प्रमुख आशा है एक सशक्त, विद्यार्थी-मनःसमर्पित और न्यायप्रिय समाज का निर्माण करना। एबीवीपी का उद्देश्य छात्रों के राष्ट्रीय और सामाजिक उत्थान में सकारात्मक योगदान देना है। इसकी मुख्य आकांक्षा निम्नलिखित है:

 

1) शिक्षा के क्षेत्र में सुधार: अभाविप का उद्देश्य है शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना। यह शिक्षा नीतियों के संशोधन और छात्रों की मांगों के अनुरूप उच्चतम गुणवत्ता की शिक्षा प्रणाली का समर्थन करता है।

2) राष्ट्रीय और सामाजिक एकता को स्थापित करना: अभाविप की मुख्य प्राथमिकता है राष्ट्रीय और सामाजिक एकता को स्थापित करना। इसके माध्यम से यह संगठन विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान पर काम करता है और समाज में एकता और समरसता को सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है।

3) छात्रों के विकास को समर्पित करना: अभाविप छात्रों के व्यक्तित्व विकास, नेतृत्व कौशल, आत्मविश्वास और कार्यक्षमता को समर्पित है। इसके माध्यम से छात्रों को सामरिक और शैक्षिक क्षेत्रों में स्वावलंबी बनाया जाता है ताकि वे समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर हो सकें।

 

अभाविप का आदर्श एक सक्षम, उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य के साथी छात्रों का निर्माण करना है, जो राष्ट्र और समाज की सेवा में योगदान देते हैं।

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) ने आपातकाल के दौरान एक महत्त्वपूर्ण संघर्ष किया। आपातकाल भारतीय इतिहास की एक अंधेरी घटना थी, जिसके दौरान न्यायप्रियता, मुक्त विचार और लोकतंत्र की प्रणाली को धीरे-धीरे नष्ट किया गया। अभाविप ने इस आपातकाल के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई:

 

1) अभाविप के सदस्यों ने आपातकाल के दौरान विभिन्न तंत्रों के खिलाफ संघर्ष किया। वे स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे और न्यायालयों में अभियान चलाए। इसके साथ ही, वे संघर्ष करके दलितों, आदिवासियों और गरीब छात्रों की हितों की रक्षा करने के लिए प्रयास किए।

2) अभाविप के सदस्यों को न्यायालयों में गिरफ्तार किया गया, उन्हें यात्रा और सख्त से सख्त कारावास में भेजा गया। लेकिन ये बाधाएँ उन्हें हिम्मत और संघर्ष की ओर और बढ़ाने के लिए प्रेरित करती रहीं।

3) अभाविप के सदस्यों ने आपातकाल के दौरान लोगों को जागरूक किया और स्वतंत्रता के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। इसके परिणामस्वरूप, आपातकाल के बाद अभाविप की गतिविधियों में वृद्धि हुई और यह संगठन विद्यार्थी आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बन गया

 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संगठन आपदा के समय तत्परता के साथ कार्य करता है और आपदा प्रबंधन के लिए स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं को संगठित करता है। अभाविप के सदस्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री और सहायता पहुँचाने के लिए प्रयास करते हैं। वे आपदा प्रबंधन टीमों में भी शामिल होते हैं और चिकित्सा सुविधाओं, खाद्य सामग्री और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करते हैं। अभाविप ने आपदा पीड़ित लोगों की मदद के लिए निरंतर कार्य किया है और इसके माध्यम से संघर्ष करते हुए आपदा के समय समाज की सेवा करता है।

 

हम सभी को एक महत्त्वपूर्ण और गर्व की बात समझनी चाहिए-9 जुलाई को अखिल भारतीय विद्यार्थि परिषद (अभाविप) अपने 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह अवसर हमें स्वयं को समर्पित करने और सोचने का आह्वान करता है। अभाविप ने छात्रों की शक्ति और विचारशक्ति को प्रोत्साहित किया है, उन्हें राष्ट्रीयता, नेतृत्व और सेवाभाव के माध्यम से निर्माण किया है। आज, हम एक साथ अपने संकल्प को मजबूती से नवीनीकृत करते हैं। हमारे अग्रगण्यों के साथ, हम अपने विचारों, योजनाओं और संकल्पों को साझा करने के लिए आगे बढ़ेंगे। हम शिक्षा, संस्कृति और सेवा के माध्यम से राष्ट्र के विकास को सुनिश्चित करेंगे। यह महत्त्वपूर्ण दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी युवा ताकत है और हमें एकजुट होकर देश के प्रगति और समृद्धि में अपना योगदान देना है। चलो, हम सब मिलकर आगे बढ़ें, नए मील को छूते हुए एक बेहतर और मज़बूत भारत की ओर बढ़ें।

जय हिंद,

विद्यार्थी परिषद जिंदाबाद!

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