देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, मिसाईल मैन और भारत रत्न दिवंगत डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “डॉ. कलाम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत राष्ट्रीय विकास के प्रति एक वैज्ञानिक और भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनके अमिट योगदान को कभी नहीं भूल सकता। उनकी जीवन यात्रा लाखों लोगों को ताकत देती है।


ज्ञात हो कि आज डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम की 89 वी जन्म जयंती है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था। डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम हमेशा से ही भारत को विकसित देश बनाने का सपना लिए आगे बढ़ते थे। वे शांत व्यक्तितव के धनी थे और एक वैज्ञानिक भी। जब वे देश के राष्ट्रपति बने थे तब उनको सब जनता का राष्ट्रपति के तौर पर ही मानते थे। उनकी सोच इतनी बुलंद थी कि युवा से लेकर बुढ़े बुजुर्ग तक उनकी सोच के कायल थे। वे कहते थे कि ‘सपने वे नही होते जो रात में सोते समय नींद में आये बल्कि वे होते है जो रात में सोने ही नहीं दे।’

कलाम साहब का हौसला ही जिंदगी में सफलता की उड़ान है। यही कारण है आज कई लोग उनको आदर्श मानते है। उनकी सफलता की कहानियाँ पढ़कर कोई भी सफलता के शिखर तक पहुँच सकता है। उनके विचार, उनकी दूरदर्शी सोच, मानवता धर्म, सफलता, अनुभव हर प्रकार की वाणी उनके ऊपर सवार थी। आज भी उनके न होने का एहसास पूरा देश महसूस करता है।

समस्याओं को भी गले लगाया और दूर भी किया

कलाम साहब ने अपने जीवन में कभी भी किसी समस्या को हल करने में हिचकिचाते नहीं थे। वे समस्याओं को गले भी लगाते थे और उनको दूर भी करते थे। उनका परिवार छोटी-बड़ी मुश्किलों से हमेशा ही जूझता रहता था। उन्हें बचपन में ही अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया था। जब बचपन में वे पढ़ाई करते थे तो उनके घर में बिजली का कोई साधन नहीं था। उस वक्त वे केरोसिन तेल का दीपक जलाकर पढ़ाई किया करते थे। तभी तो वे मिसाईल मैन से लेकर देश के राष्ट्रपति और भारत रत्न बने थे।

कलाम साहब जब बोलते थे तब पूरी दुनिया शांति से उनको सुनती थी। वे स्कूल, कॉलेज में स्पीच से एवं किसी भी समाजिक मंच से हमेशा आगे बढ़ने के लिए ही प्रेरित करते थे। उन्होनें जीवनभर आम जनता की तरह ही जिंदगी जीने का प्रयास किया। ऐसा व्यक्तितव साल 2015 में 84 साल की उम्र में हमें सबको छोड़कर चला गया।

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