कांग्रेस पार्टी का समय इन दिनों लगता है ठीक नहीं चल रहा है , क्योंकि एक एक करके पार्टी के पुराने और वरिष्ठ नेता जिस तरह से कांग्रेस का हाथ छोड़ते जा रहे हैं उससे लगता तो ऐसा ही है. वहीं दूसरी तरफ पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव , इन दोनों परेशानियों के बीच कांग्रेस करे तो क्या ?

ये सारी मुसीबतें कम थी जो इस बीच पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसी खबरे हैं कि अश्विनी कुमार ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा और गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण देने के बाद जो विवाद हुआ, उसी के बाद से उन्होंने पद छोड़ने का मन बना लिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा, “इस मामले पर विचार करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वर्तमान हालात और अपनी गरिमा को ध्यान में रखते हुए मैं पार्टी के बाहर रहकर बड़ी राष्ट्रीय समस्याओं की अच्छी तरह से सेवा कर सकूंगा।”

अपने त्याग-पत्र में उन्होंने आगे लिखा, “पार्टी के साथ अपने 46 वर्षों के लंबे जुड़ाव को विराम देते हुए पार्टी को छोड़ रहा हूं और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा परिकल्पित उदार लोकतंत्र के वादे के आधार पर परिवर्तनकारी नेतृत्व के विचार से प्रेरित सार्वजनिक मुद्दों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने की उम्मीद करता हूं।”

बता दें आपको अश्विनी कुमार का परिवार दो पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ था। वे साल 2002, 2004 और 2010 में पंजाब से राज्यसभा सांसद रहे। साथ ही वे मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री थे। पंजाब में 20 फरवरी को सभी 117 सीटों पर मतदान होने हैं। ऐसे में अश्विनी कुमार के इस्तीफे के बाद पंजाब के सियासी समीकरण कैसे बदलते हैं ये देखना दिलचस्प रहेगा ।

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