पालघर से लेकर दिल्ली दंगों तक..हर बार एक हिंदू मारा जाता है..एक ट्रेंड चलता है और फिर सब खत्म..अब आप सोचिए हिंदू देवी-देवता के हाथों में अस्त्र क्यों होते हैं?

ताजा मामला दिल्ली में रिंकू शर्मा का है। इससे पहले भी लंबी लिस्ट है। पालघर से लेकर दिल्ली दंगों तक। हर बार एक हिंदू...

क्रिसमस की विदेशी खुशियों की चमक में गुरू गोबिंद सिंह के सपूतों का बलिदान भूल बैठा है भारत

चमकौर के किले से निकल कर गुरू गोबिंद सिंह के दोनों बड़े बेटे अजीत सिंह और जूझार सिंह ने अटारी में बैठे मुगलियां सैनिकों को छक्के छुड़ा दिए। गुरू गोबिंद सिंह ने खुद अपने हाथों से दोनों बेटों को समर के लिए तैयार करके भेजा था। युद्ध के समय अजीत सिंह सत्रह और जूझार सिंह पंद्रह वर्ष के थे। चमकौर के युद्ध में गुरू गोबिंद सिंह के दोनों सपूतों ने मुगलिया सत्ता की गुलामी के स्थान पर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।