Opinions कोई भी मजहब या संप्रदाय देश से बढ़कर नहीं हिंसा और अराजकता के लिए किसी भी सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होता। कोई भी पंथ या मज़हब आपसी भाईचारे, प्रेम और विश्वास...