पूरे विश्व में बसे हुए हिंदू आज शौर्य दिवस मना रहे हैं बेशक मनाया भी जाना चाहिए, मगर हमें नहीं भूलना चाहिए उन कोठारी बंधुओं के बलिदान को जिन्होंने सबसे पहले बाबरी मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा लहराया था और पुलिस की गोलियों का दोनों भाई शिकार हुए थे। गौरतलब है कि करीब 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद 30 अक्टूबर को दोनों अयोध्या पहुंचे थे। 30 अक्टूबर को गुंबद पर चढ़ने वाला पहला आदमी शरद कोठारी ही था, फिर उसका भाई रामकुमार भी चढ़ा… दोनों ने वहां भगवा झंडा फहराया था।

किताब ‘अयोध्या के चश्मदीद’ के अनुसार 30 अक्टूबर को गुंबद पर झंडा लहराने के बाद शरद और रामकुमार 2 नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की तरफ जा रहे थे. जब पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों पीछे हटकर लाल कोठी वाली गली के एक घर में छिप गए. लेकिन थोड़ी देर बाद जब वे दोनों बाहर निकले तो पुलिस फायरिंग का शिकार बन गए. दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

4 नवंबर 1990 को शरद और रामकुमार कोठारी का सरयू के घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग उमड़ पड़े थे. दोनों भाइयों के लिए अमर रहे के नारे गूंज रहे थे. शरद और रामकुमार का परिवार पीढ़ियों से कोलकाता में रह रहा है. मूलतः वे राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले थे. दोनों भाइयों के अंतिम संस्कार के करीब एक महीने बाद ही 12 दिसंबर को इनकी बहन की शादी होने वाली थी।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.