बीबीसी अक्सर देश विरोधी काम करने के चलते जनता के निशाने पर रहता है। एक बार फिर बीबीसी ने अपना देश विरोधी चेहरा दिखाते हुए भारत देश की संप्रभुता का अपमान किया है। सुकमा में हुए नक्सली हमले को लेकर बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें उसने नक्सली हिडमा के परिचय पर एक रिपोर्ट लिखी है। इस रिपोर्ट में हिडमा के बारे में इज्जत के साथ लेखनी को चलाया गया है और उसके लिए सम्मानजनक शैली का इस्तेमाल किया गया है। जबकि हमले में शहीद हुए जवानों के देश पर प्राण न्योछावर को ‘मौत’ लिखा गया है जबकि यहां ‘शहीद’ लिखा जाना चाहिए था। रिपोर्ट में लिखा गया है कि 22 जवानों की हमले में ‘मौत’ हो गई जबकि यहां ‘शहादत’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था।

रिपोर्ट में हिडमा की खिदमत में बहुत सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है । मसलन हिडमा बात नहीं करते, हिडमा खेती किया करते थे… जैसे सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल एक नक्सली आतंकवादी के लिए किया गया है ।

बल्ला सतीश नामक बीबीसी कर्मी ने इस रिपोर्ट को लिखा है। लेखक की शैली बता रही है कि वह नक्सलियों के लिए शहर में रहते हुए कितना हमदर्द है, जबकि देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए मां भारती के जवानों की ‘शहादत’ को वह ‘मौत’ लिख रहा है।

रिपोर्ट में लिखा गया है कि हिड़मा बहुत मृदुभाषी हैं और बस्तर के युवाओं में उनको लेकर बेहद दीवानगी है। रिपोर्ट पढ़ने पर साफ तौर पर पता चलता है कि हिडमा के महिमामंडन में इस नक्सली लेखक ने इस रिपोर्ट को लिखा है।

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