मैं ऐसे किसी भी २०२० के सर्वे को ठीक नहीं मानूँगा जिसमें अपने दिल्ली वाले सर जी को बेस्ट CM का अवार्ड ना दिया गया हो । इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि फिर वो सर्वे फ़िल्मों का है या क्रिकेट का क्यूँकि अपने सर जी इन सब बंधनों के परे हैं ।

इस बात को साबित करने के मेरे पास अपने खुद के कारण हैं बहुतायत में :

बात शुरुआत से करें तो दिल्ली में दो बातों की चर्चा थी , पहला शाहीन बाग और दूसरा दिल्ली के चुनाव । बड़ा कन्फ़्यूज़न था की सर जी किस ओर हैं शाहीन बाग के । उनके नायब कहते थे की वो समर्थन करते हैं , सर जी मना कर देते थे और केंद्र सरकार को चैलेंज करते थे कि इनको धरने से हटाओ ।

ये बिंदु जोड़ लें तो सर जी ने टोटल तीन बड़े मुद्दे उठाए थे चुनाव में :

पहला , एक वेबसाइट ने बताया था कि सर जी ने दिल्ली के सरकारी स्कूल बदल दिए हैं , एकदम लल्लनटॉप टाइप । टॉप पर भी एक दिल्ली का ही सरकारी स्कूल है ।

दूसरा , मोहल्ला क्लिनिक । सर जी का कहना था कि ये आयुष्मान भारत से अच्छा है ।

और तीसरा , शाहीन बाग केंद्र सरकार नहीं हटा रही और वो खुद कुछ नहीं कर सकते ।

चुनाव हुए और सर जी ने ९०% सीटें जीत लीं ।

साथ ही कोरोना ने दस्तक दे दी । सर जी ने फटाफट धारा १४४ लागू कर दी दिल्ली में और पुलिस को शाहीन बाग ख़ाली कराने का अधिकार मिल गया ( मतलब सर जी पहले भी ख़ाली करवा सकते थे पर तब बंगाल की कड़ी में उठा चक्रवाती तूफ़ान उनके हाथ रोक रहा था ) । फिर चुपचाप सर जी ने दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना भी लागू कर दी । साथ ही दिल्ली के जिन स्कूलों की दशा सर जी ने अच्छी की थी , कोरोना के क्वॉरंटीन सेंटर में बदले जाने पर उन स्कूलों की कमियाँ तो सर जी समर्थकों ने ही गिना दीं ।

यूपी-बिहार के लाखों मज़दूरों बस में भरकर दिल्ली बॉर्डर पर बसों में भरकर पहुँचा देने का क्रांतिकारी काम भी किया गया , लाक्डाउन के बावजूद । ये एक तरीक़े का सविनय अवज्ञा आंदोलन ही समझा जाए । लॉकडाउन पूरे देश में बढ़ाने की घोषणा भी सर जी ने केंद्र सरकार से पहले कर दी थी।

संसाधनों का उपयोग भी सर जी बढ़िया से करते हैं। कोई मीडिया चैनल नहीं जिसपर सर जी का गुणगान ना होता हो। जैसे ही दिल्ली में कोरोना बढ़ा, संभालने के लिए अमित शाह को बागडोर सौंपने का निर्णय सर जी दूरदृष्टि को दर्शाता है। जैसे ही मामला संभला, वापस बागडोर अपने हाथ में ली और लगे दिल्ली हाँकने का नेतृत्व करने।

इस सबके बावजूद विरोधी , खासकर भाजपा वाले सर जी का बहुत विरोध करते हैं।

कोई और होता तो हार मान लेता पर अपने सर जी ने हार नहीं मानी ।

कृषि सुधार बिल दिल्ली में लगवा भी दिए और फिर विरोध करने वालों में शामिल भी हो लिए हैं । मजदूरों को खिलाने पिलाने का पैसा भले न हो सर जी के पास , बिल का विरोध करें वालों की सेवा सुश्रुषा नहीं छोड़ रहे हैं।

अब आप ही बताओ , इतनी कर्मठता , इतना आत्मविश्वास जिस आदमी में हो तो बेस्ट CM का अवार्ड उसे मिलना ही चाहिए या नहीं । और इस पैमाने पर नापें तो यूपी मुख्यमंत्री तो लिस्ट में सबसे नीचे आएँगे । वैसे भी मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री को बिगाड़ने के मामले में उनके २ अंक पहले ही काट लिए गए हैं ।

जो सर्वे आपको ऐसा ना बताये उसे आप सर्वे ही ना मानें । सत्य का साथ दें !!

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