कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने बताया है कि राहुल गांधी नानी को देखने गए हैं इटली। नानी बीमार हैं। कांग्रेस को याद न हो तो याद करवा दूं कि बीते कई बरसों से राहुल अपनी बीमार नानी को देखने इटली जाते रहते हैं। कोई नई बात नहीं है। ऐतराज की भी कोई बात नहीं है। ननिहाल सबको भाती है, मीठी लगती है। बीमार नानी को देखने जाना ही चाहिए, पर बीमार तो कांग्रेस भी बहुत है। उस को कब देखेंगे राहुल गांधी। कांग्रेस का स्थापना दिवस मना कर एक दिन बाद गए होते तो नानी का क्या बिगड़ जाता भला। सच यह है कि राहुल की अय्याशी यात्राओं का कैलेंडर पहले ही से तय रहता है। नानी तो बहाना है , नए साल मनाने की रंगरेलियां मकसद है। 


गोवा हो या इटली , थाईलैंड हो या कोई और जगह। सब कुछ तय रहता है। अब बीच में कांग्रेस का स्थापना दिवस आ जाए या संसद का कोई सत्र। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। नानी को देखने या ध्यान करने में उन का मन ज़्यादा लगता है। राजनीति और कांग्रेस में बिलकुल नहीं। वह तो कभी-कभार आइटम सांग या गेस्ट रोल करने आ जाते हैं। संसद हिलाने की बात बाहर करते हैं और संसद में आ कर सो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई सोचता है कि कांग्रेस कभी रिवाइव होगी तो उन को जान लेना चाहिए कि राहुल गांधी के रहते तो हरगिज नहीं। सपने में भी नहीं। इसलिए भी कि राहुल गांधी राजनीति करने के लिए नहीं आए हैं, पॉलिटिक्स में वह पार्ट टाइमर हैं। घूमने में फुल टाइमर। दो करोड़ किसानों की दस्तखत रातो-रात ऐसे ही होते रहेंगे और राहुल गांधी ऐश करते रहेंगे। उन का कोई कुछ नहीं कर सकता। सोनिया गांधी भी नहीं।

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