ये हमारे देश का दुर्भाग्य ही हैं कि जिन्होंने हमारे घर मे घुसकर हमें मारा और हमारे ऊपर हजारों सालों तक राज किया हैं । हम उनकी क्रूरता को यशोगाथा मानकर उनका गुणगान करते नही थकते । हम उनकी कुटिलता को हमारा समाज को सही दिशा देने प्रयास मानकर उनकी भूरी – भूरी प्रशंसा करते हैं ।

हमारे नव पीढ़ी को भी उन्ही के बारे में बताते हैं। हम कभी भी हमारे पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास के बारे में नही बताते । अगर कोई इस दिशा में प्रयास करता हैं तो हम उसे पिछड़ी मानसिकता का मानकर उसकी खिल्ली उड़ाते हैं । इसका एक सीधा सा उदाहरण हैं महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर ।

हमने अकबर को इतना महान बता दिया कि उसके सामने महाराणा प्रताप का अपनी मातृभूमि के प्रति किये गए संघर्ष का कोई मोल नही रहा । अकबर को इतना महान बता दिया कि लगता हैं कि महाराणा प्रताप तो एक आततायी और डरपोक था ।

इस लेख को पढ़कर ये आपको तय करना हैं कि अकबर महान था या महाराणा प्रताप ?

हमारे इतिहासकारों ने अकबर की राजपूत कन्याओं के साथ किए गए विवाह की भूरी – भूरी प्रशंसा करते हुए उसे समाज सुधार मान लिया हैं । लेकिन इसके बाद कुछ प्रश्न खड़े होते हैं कि क्या सच मे अकबर ऐसा था ।

इतिहास में हमे जानकारी मिलती हैं कि अकबर ने राजपूत कन्याओं से विवाह किया था और हमारे सबसे शक्तिशाली योद्धा राजपूतों के साथ सम्बन्ध स्थापित करके एक सौहार्द का वातावरण स्थापित किया था । इतिहास ही हमे बताता हैं कि अकबर ने 38 राजपूत कन्याओं से विवाह किया था । यद्यपि ये अलग बात हैं कि उसके हरम में 5000 ललनाएँ रहती थी ।

उसके हरम की कन्याओं की संख्या के बारे में जानकारी भी हमे अबुलफजल के अकबर नामें से ही मिलती हैं । जिनमे से अधिकतर तो सिर्फ हिन्दू बालिकाएं थी । जिन्हें जबरदस्ती एप्ने हरम में रखा गया था।

इन 38 कन्याओं में से 12 अकबर के हरम में रही , 17 जहांगीर के हरम में और 6 दानियाल को , 2 मुराद को , और एक सलीम के पुत्र खुसरों को मिली ।

चलों मान लिया कि अकबर ने ऐसा करके एक अच्छा काम किया और भेदभाव को मिटाया लेकिन क्या कोई मुझे इतिहास से जानकारी दे सकता हैं कि

अकबर ने कितनी मुस्लिम कन्याओं कर विवाह हिंदुओ के साथ जोड़ा ?

कितनी राज परिवार की लड़कियों का विवाह सम्बन्ध हिन्दू राजाओं या राजपूतों के साथ करवाया ?

एक भी मुस्लिम लड़की का विवाह हिन्दू या हिन्दू राज परिवार से नही करवाया ।

इसका सीधा सा अर्थ हैं कि अकबर की ये सिर्फ के सोची समझी रणनीति थी , राजपूतों से बिना लड़े उन्हें हड़पने की और राजपूतों को नीचा दिखाने की ।

इसका एक और उदाहरण दिल्ली में लगने वाला मीना बाजार था । इसे भी हमारे इतिहासकार अकबर की एक महानता मानते थे कि उसने यह बाजार सिर्फ औरतों के लिए शुरू करवाया था लेकिन इस बाजार में खुद अकबर अपना भेष बदलकर जाता था और पसन्द आने वाली सुंदर लड़कियों को अपने हरम में ले आता था । लेकिन एक दिन संयोग से उसने एक गलत राजपूत कन्या पर अपनी नजर गड़ा दी और उसे अपने हरम में ले आया ।

उस क्षत्राणी किरणा ने बिना डरे अकबर का सामना किया और अपनी कटार निकालकर उसकी छाती पर बैठ गयी थी । उसके बाद अकबर ने माफी मांगी और मीना बाजार को बंद करने का एलान किया ।

अकबर के बारे में तो ये भी कहा जाता हैं कि वह बहुत ही न्यायप्रिय शासक था लेकिन जहांगीर ने अपनी जीवनी ” त्वारिख – ए – सलमी शाही ” में लिखा हैं कि अकबर और जहांगीर के आधिपत्य में 5 से 6 लाख की संख्याओं में हिंदुओ को जिंदा काट दिया गया था ।

वही अकबर कर दरबारी अबुलफजल ने अकबरनामा में लिखा हैं कि जब अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था तब दुर्ग में राजपूत योद्धाओं के अलावा 40 हजार की संख्या में ग्रामीण भी मौजूद थे जो सिर्फ युद्ध देखने आए थे और किसी दूसरे काम के लिए एकत्रित हुए थे । अकबर की जीत कर बाद सुबह से लेकर दोपहर तक सभी ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया गया ।

अकबर को एक क्रूरतम शासक साबित करने के लिए कर्नल जेम्स टॉड के ये शब्द ही काफी हैं –

” चितौड़ में शहंशाह की गतिविधियां सर्वाधिक निर्मम और निपट अत्याचारों से भरी पड़ी हैं । “

जिस व्यक्ति ने युद्ध देखने आए हुए लोगो तक को नही छोड़ा वह कैसे महान हो सकता हैं ? कैसे वह एक न्यायप्रिय शासक हो सकता हैं ?

बदायूंनी के अनुसार अकबर ने हिंदुओ को नीचा दिखाने के लिए अपने पैरों की धोबन भी पिलाना शुरू करवा दिया था और प्रचारित करवाया की इससे असाध्य बीमारिया तक नष्ट हो जाती हैं ।

आज कल यह एक चलन ही बन गया हैं कि अकबर ने हिंदुओ मंदिरों नही तोड़ा । हमारे इतिहासकार तो ये तक कहते नही थकते की उसने जोधा बाई को अपनी हिन्दू रीतिरिवाज से पूजा करने की अनुमति प्रदान की थी और महल में ही एक मंदिर भी बनवाया था लेकिन अकबर नामें के अनुसार अकबर ने अपने मंत्री टोडरमल के मंदिर को तुड़वा दिया , गंगा के बनारस और प्रयाग के घाटों को तुड़वा दिया । काशी के विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस करवा दिया ।

बदायूंनी के अनुसार तो अकबर के शासन में अनेको ऐसे अकाल पड़े थे जब मानव ने मानव को खाकर अपनी भूख शांत की थी लेकिन अकबर तो सिर्फ हिंदुओ को मुसलमान बनाने में लगा रहा और जिन्होंने इस्लाम धर्म कबूल नही किया उन्हें निर्ममता के साथ मौत के घाट उतार दिया ।

अब आपको यह तय करना हैं कि महान अकबर था और महाराणा प्रताप ?

प्रजा के लिए जीने वाला शासक अकबर था या महाराणा प्रताप ?

अकबर की नीतियां कुटिलता पूर्ण थी या समाज सुधारक ?

अकबर महान था या भारत के इतिहास का क्रूरतम शासक ?

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