जी हाँ, ये पंक्ति भारत के सबसे शिक्षित, शांत एवं अनुशासित समुदाय पर बिल्कुल सटीक बैठती है।
वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 2016 में प्रकाशित आंकड़ो के अनुसार जैन समुदाय में साक्षरता दर लगभग 87% है, जो कि अन्य समुदायों से सर्वाधिक है।
2011 की जनगणना में जैन समुदाय की जनसंख्या 45 लाख के लगभग आंकी गयी थी लेकिन 121 करोड़ की जनसंख्या में मात्र 0.54% हिस्सा होने के बावजूद जैन समुदाय के लोगों ने इस राष्ट्र के लिए वो महान कार्य किए है जिनको ये देश चिरकाल तक स्मरण रखेगा।
ऐसे ही कुछ महान हस्तियों एवं कार्यों का विवरण दिया जा रहा है :-
- सर्वप्रथम तो जैन धर्म के परम् पूज्य 24 तीर्थंकर जिन्होंने अपने ज्ञान के प्रकाश से अंधकारमय दुनिया में सूर्य उदय किया था और जैन धर्म के 5 महाव्रतों ( अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) से संसार को सार्थक शिक्षा प्रदान की। महात्मा गांधी ने भी जैन धर्म के इन्हीं सिद्धांतों का प्रयोग अपने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान किया था और इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में आदर्श रूप में ग्रहण किया।
- ततपश्चात वर्तमान काल के प्रमुख जैन आचार्य संत जैसे कि – आचार्य विद्यासागर जी, आचार्य महाप्रज्ञ, आचार्य महाश्रमण, आचार्य ज्ञानसागर जी, मुनि तरुणसागर जी, मुनि प्रमाणसागर जी, आर्यिका ज्ञानमती माताजी के प्रवचनों से समाज को एक नई दिशा प्राप्त हो रही है।
- बिज़नेस के क्षेत्र में आज गौतम अडानी से शायद ही कोई अपरिचित होगा, वो भी जैन समुदाय से ही सम्बन्ध रखते है। इसके अलावा HCC लिमिटेड के चैयरमैन अजित गुलाबचंद भी जैन समुदाय से ही आते है।
- स्वतंत्रता सेनानियों में एक प्रमुख नाम है मूलचंद जैन, जिन्हें हरियाणा का गाँधी भी कहा जाता था।
साथ ही अम्बालाल साराभाई के योगदान को भी ये देश सदैव याद रखेगा। - जैन समुदाय के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व में अनेक नामों से आप परिचित होंगे यथा :-
● महाराणा प्रताप के प्रमुख सलाहकार एवं मित्र पूज्य भामाशाह, जो अपने निस्वार्थ त्याग के कारण इतिहास में प्रसिद्ध हो गए।
● गंग साम्राज्य के सेनापति चावंडराय जिन्होंने गोमटेश्वर बाहुबली की मूर्ति का निर्माण करवाया।
● मौर्य साम्राज्य के संस्थापक एवं महान राजा चंद्रगुप्त मौर्य, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।
● महान सम्राट अशोक ने भी अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म को ग्रहण कर लिया था।
● राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाड़िया जी, जिन्हें “आधुनिक राजस्थान का जनक” कहा जाता है।
● गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री विजय रुपाणी जी। इनके अलावा सुंदरलाल पटवा, गुलाबचंद कटारिया, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, अनिल जैन, सत्येंद्र जैन आदि अनेक नाम है जिन्होंने राजनीति क्षेत्र में अपने कार्यों से सदा ही प्रभावित किया है।
- उपर्युक्त वर्णित क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी जैन समुदाय ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
जैसे कि :-
● लेखन क्षेत्र :- तारक मेहता, कन्हैयालाल सेठिया
● मनोरंजन क्षेत्र :- वी.शांताराम, सूरज बड़जात्या, संजय लीला भंसाली, रवींद्र जैन, दर्शील सफ़ारी, हर्षद चोपड़ा
● श्री विक्रम साराभाई, देश के एक महान वैज्ञानिक का सम्बन्ध भी जैन समुदाय से है।
● प्रमुख आध्यात्मिक विचारक आचार्य रजनीश उर्फ ओशो का पूर्व नाम चंद्रमोहन जैन था।
● Xiamoi इंडिया के प्रेसिडेंट मनुकुमार जैन, विहिप के संयुक्त महासचिव श्री सुरेंद्र जैन, 2015 में हिंदी माध्यम से UPSC में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले IAS निशांत जैन, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल श्री सत्यपाल जैन आदि भी जैन समुदाय के श्रेष्ठ उदाहरण है।
ये तो मात्र वो उदाहरण है जिनको आप सभी ने कही ना कही पर देखा है, पढ़ा है या सुना है। इन सभी के अतिरिक्त भी जैन समुदाय ने समाज एवं राष्ट्रनिर्माण में अपनी भागीदारी हमेशा सुनिश्चित की है। देश पर जब भी कोई विपदा आयी है, जैन समुदाय हमेशा देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।
आज देश में विभिन्न जैन मंदिर एवं जैन तीर्थ अपनी शिल्प शैली के कारण विख्यात है यथा :- रणकपुर जैन मंदिर, देलवाड़ा जैन मन्दिर, गोमटेश्वर बाहुबली, सम्मेद शिखरजी, पावापुरीजी, कुण्डलपुर, हस्तिनापुर जैन मंदिर, गिरनारजी, चूलगिरी, चांदखेड़ी, सोनीजी की नाशियाँ इत्यादि।
देश की कला संस्कृति को विकसित करने में जैन समुदाय के इन मंदिरों, तीर्थों का महत्वपूर्ण योगदान है।
आज भी देश में अनेक स्थानों पर खुदाई के दौरान जैन समुदाय के अत्यन्त प्राचीन साक्ष्य मिलते रहते है जो भारत के इतिहास को समझने में बेहद सहायक होते है।
हिंदी साहित्य के इतिहास में हम पढ़ते है कि हिन्दीभाषा की उत्त्पत्ति से पूर्व आदिकाल में ही संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश भाषा में वृहद स्तर पर जैन साहित्य रचा जा चुका था।
शालीभद्र सूरी के द्वारा रचित भरतेश्वर बाहुबली रास जिसे हिंदी इतिहास का प्रथम रास काव्य माना जाता है।
इनके अलावा देवसेन द्वारा रचित श्रावकाचार को हिंदी का प्रथम जैन ग्रन्थ माना जाता है।
वर्तमान में भी जिस प्रकार का जैन साहित्य रचा जा रहा है वो समाज के लिए सदैव उपयोगी सिद्ध हो रहा है।
मुनिश्री तरुणसागर जी के कड़वे प्रवचनों ने जिस प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन आज समाज में उत्पन्न किया वो अपने आप में एक क्रांतिकारी बदलाव का उदाहरण है।
राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा प्रथा पर रोक लगाने के बावजूद जैन समुदाय ने किसी भी स्थान पर उग्र प्रदर्शन नही किया अपितु बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके (मौनव्रत) से विरोध प्रदर्शित किया, ये ही कारण था कि माननीय सुप्रीम कोर्ट को अंततः संथारा से सम्बन्धित निर्णय बदलना पड़ा।
भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक जैन समुदाय अपने गौरवशाली इतिहास से सदैव ओजस्वीमय रहा है और वर्तमान में भगवान महावीर के 2547 वर्षों के पश्चात भी जैन समुदाय अपने सिद्धांतों एवं शिक्षा से इस समाज एवं राष्ट्र को एक नई ऊर्जा, दिशा और मार्ग दिखा रहा है।
अंत में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी का वो वीडियो जिसमेें उन्होंने कहा कि मैं 100% जैन हूँ, आप सभी एक बार जरूर देखिए।
जय जिनेन्द्र
जैनम् जयतु शासनम्
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