मेरा भारत महान…

जी हाँ, ये कोई एक नारा या आम पंक्ति नहीं है |

वैसे तो हमारे देश के लोकतंत्र को दुनिया का सबसे बड़ा और वृहद् लोकतंत्र कहा जाता है और सही मायनो में ये सही भी है | पर कुछ खामियां भी हैं जिनकी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा, वैसे एक बात और कह दू कि ये सिर्फ मेरा मत या मेरी व्यथा नहीं है बल्कि और भी असंख्य लोगो के मन की जिजीविषा है और उन सबके सवालों के हम जवाब जानने की एक छोटी सी कोशिश हम भी करते हैं |

सवाल नं १- इस देश में सही मायनो में किसान कौन है?

ये सवाल कहने को तो बहुत ही छोटा सा और साधारण सा है पर अगर गौर से सोचें और सबसे पूछे तो शायद इस देश के बहुत सारे लोग सही जवाब नही दे पाएंगे, और एक बात “भारत एक कृषि प्रधान देश है” ऐसी मान्यता है फिर भी |हमारे महान देश में पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री रहे जब पी. चिदंबरम साहब , एनसीपी प्रमुख शरद पवार ,सुप्रिया सुले और तथाकथित युवा नेता राहुल गांधी भी किसान हैं तो अब जरुरत आ गयी है की किसान की सही परिभाषा बताई जाये | किसान नेता और किसान तो और भी कई महानुभाव है और सबका तो मई नाम भी नहीं लिख पाउँगा क्यूंकि जगह कम पड़ जायेगा | किसान पर किसी भी तरीके का कोई कर नहीं है पर पोर्शे और बी एम डब्लू और ऑडी जैसी गाड़ियों पर बैठने वाले किसान हैं तो फिर मैं भी किसान हूँ, सारे नेता किसान हैं और तो और अम्बानी और अडानी भी किसान ही हैं फिर से कॉर्पोरेट से इतनी नफरत क्यों है?

सवाल नं २- हमारे लोकतंत्र में असली विपक्ष कौन है?

हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा है,ये सवाल मुझे दिन रात परेशान किये रहता है कि विपक्ष आखिर है कौन?

हमारे संविधान निर्माताओं ने राज्य और केंद्र दोनों को अलग अलग शक्तियां दी हैं, और दोनों की अपनी हद भी निर्धारित की है फिर भी आज कल के राजनेता अपनी हद क्यों भूल गए हैं? लगभग हर राजनितिक दल किसी न किसी राज्य में सत्ता में भागीदार है और सत्ता सुख भोग रहा है फिर भी उनसे सवाल कब पूछे जायेंगे? अगर कभी पूछ भी लिए जाये तो उनके पालित पत्रकार शोर मचाने लगते हैं है विपक्ष से सवाल क्यों पूछे जा रहे हैं, सत्ता पक्ष से पूछो | राजस्थान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, और भी कई सारे राज्य है जहां कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकारें है पर उनसे कोई भी सवाल नहीं पूछता कि क्यूंकि वो विपक्ष में हैं, और तो और महाराष्ट्र में तो 3 दलों को सरकार है पर हर दिन उनके नेता सिर्फ केंद्र सरकार से सवाल पूछते हैं, खुद न तो जवाब देते है न ही कोई उनसे सवाल पूछने की हिम्मत कर पाता है और किसी एक पत्रकार ने वो गलती कर दी थी अब उसका अंजाम देखिये| इस देश में कोई विपक्ष नहीं है सिवाय जनता को छोड़ कर और जनता सही समय पर सही मूल्याङ्कन भी करती है |

फिर भी विपक्ष की परिभाषा तय होनी चाहिए ,नहीं तो हम सिर्फ केंद्र में बैठी सरकारों से सवाल पूछते रहेंगे और राज्य सरकार बच जाया करेंगी|

सवाल नं ३- करदाता कौन है?

हमारे देश में जन्म लेने वाला और जीवित व्यक्ति किसी न किसी रूप में कर दे ही रहा है फिर सबको करदाता क्यों नहीं बोलते? पिछले कुछ सालों में जिस तरह से बड़े उद्योगपतियों को बेवजह गालियां पड़ रही है उस से तो ये सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि करदाता है कौन? जब आप जनता की अपेक्षाओं पर खरा ना उतर पाओ, सवालों का जवाब नहीं दे पाओ तो बस ये भ्रम फैला दो कि कॉर्पोरेट्स देश चला रहे हैं| इस प्रकार की नयी राजनीति के नए सूत्रधार श्री परम आदरणीय केजरीवाल हैं जिन्होंने कॉर्पोरेट्स के नाम पर इतनी मलाई खाई है की शायद ही किसी ने उतना फायदा उठाया होगा, सर जी अम्बानी को गाली दे कर सत्ता में आये थे और आज पूरी दिल्ली क बिजली का ठेका अम्बानी की स्वामित्व वाली कंपनी को दे दिया, और बहुत सारे उदाहरण हैं, पंजाब को ही देख लीजिये सबसे ज्यादा चर्चे में है |

जब कर दे कर देश की तिजोरी भरने वाले इतने रईसों की ये हालत है तो फिर आम आदमी की हैसियत क्या है, इसलिए मैं कह रहा हूँ कि करदाता की नयी परिभाषा बताई जाये |

सवाल तो और भी कई सारे हैं फिर कभी फुर्सत से और सारे पुछेंगे पर ये सबसे जरूरी सवाल हैं |

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.