जहां एक और मोदी और नीतीश की जोड़ी बिहार की जनता के साथ मिलकर कोरोना को ध्वस्त कर रहे है वहीं दूसरी ओर तेजस्वी एंड कंपनी झूठ और अफवाह के भरोसे है !
बिहार में विपक्ष की हालत हारे हुए उस खिलाड़ी की तरह हो गयी है, जो अब खेल के नियमों को ही अपनी हार के लिए जिम्मेदार बता रहा है। कोरोना के संदर्भ में तेजस्वी एंड कंपनी द्वारा जिस स्तर पर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं असलियत उसके बिलकुल ही विपरीत है। दुर्भाग्य तो यह है कि तेजस्वी एंड कंपनी द्वारा बोए गए झूठ की फसल कुछ पत्रकार भी खूब काट रहे हैं। ऐसे पत्रकारों के लिए तेजस्वी द्वारा किया गया झूठ पर टिका ट्वीट ही न्यूज है!
खैर, तेजस्वी अभी कह रहे हैं कि बिहार में कोरोना बहुत अधिक फैला हुआ है। कोरोना तो पूरे विश्व में फैला है। लेकिन वह यह कहना भूल जाते हैं कि बिहार में फिलहाल रोजाना टेस्टिंग का आंकड़ा 75 हजार से भी अधिक है। यही तेजस्वी महाराज हैं जो बिहार में जब रोजाना 3000 की टेस्टिंग होती थी, तो लगातार गला फाड़ कर चिल्ला रहे थे कि बिहार में तो जांच ही नहीं हो रही, इसलिए सैंपलिंग का आकड़ा बहुत कम है। हालांकि, वह अगर इस आरोप-प्रत्यारोप की दुनिया से बाहर निकलेंगे तब आपको सही-सही आकड़े दिखेंगे।
बिहार में अबतक 51, 315 लोग कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो चुके हैं। बिहार का रिकवरी रेट 64.37 से भी प्रतिशत है। एक दिन में 75 हज़ार से अधिक टेस्टिंग कर स्वास्थ्य विभाग ने माइलस्टोन हासिल किया है। बिहार राज्य में 75, 628 सैंपल्स की जांच की गयी है और अबतक कुल जांच की संख्या 10, 21, 906 है। टेस्ट की संख्या बढ़ने से पॉजिटिव मामले ज्यादा आ रहे हैं जिससे पॉजिटिव व्यक्तियों के 14 दिन पूरे होने पर रिकवरी रेट के प्रतिशत में वृद्धि होगी।
प्राइवेट लिमिटेड पार्टी आरजेडी के राजकुमार का यह भी कहना है की बिहार में अस्पतालों की स्थिति जर्जर है। वहां डॉक्टर, नर्स तथा सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। उनकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि वह अगर बिहार ती स्वास्थ्य व्यवस्था को ना ही कोसे तो बढ़िया होगा, और अगर वह 15 साल पहले की स्थिति देखेंगे तो उनको हालात में बड़ा सुधार जरूर नजर आएगा। उनके माननीय पिताजी ने जो विरासत बिहार को सौंपी थी, उससे आज तक कई गुणा अधिक सुधार हुआ है।
बिहार के अस्पतालों में जल्द 7500 ए-ग्रेड कैटेगरी की नर्से की तैनाती होने वाली है। इन नियुक्तियों से अस्पतालों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काफी सहायता मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को पोस्टल के द्वारा मेडिसिन किट उपलब्ध करवा रहा है। मरीज तथा उनके परिजनों को टेली मेडिसिन के माध्यम से जानकारी भी दी जा रही है।
बिहार में हर जिले में कोरोना मरीजों के लिए चार वेंटिलेटर और डेडिकेटेड आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। राज्य में अभी 394 केंद्रों पर 43 हज़ार बेड की क्षमता के साथ कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। पटना के 111 निजी अस्पतालों में कोविड 19 से पीड़ित मरीजों के उपचार की व्यवस्था की गई है। बिहार को 2500 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर मिले हैं। ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर आने से कोरोना मरीजों को इलाज में आसानी होगी।
बिना इन आंकड़ों को जाने प्रतिपक्ष के नेता भ्रम फैलाने के अलावा और कुछ नहीं कर रहें, यह उनकी कूटनीति है या नादानी ये वह जाने लेकिन इसका गलत असर उस जनता पर पड़ रहा है जो कोरोना महामारी के कारण अभी विचलित है। सरकार अपना काम बखूबी कर रही है, और विपक्ष के नेता होने के नाते आपको भी इस आरोपों की राजनीति से बाहर निकल कुछ नया करना चाहिए क्यूंकि जनता का भरोसा भ्रम फैलाकर कतई नहीं जीता जा सकता है।
तेजस्वी को ‘चतुर या घोड़ा’ में से किसी एक की तान पकड़ लेनी चाहिए। दोनों ही तो बिल्कुल नहीं चलेंगे। पहले तो उन्होंने टेस्टिंग कम होने पर लगातार बिहार सरकार को कोसा, अब जब टेस्टिंग की संख्या लगातारा बढ़ती जा रही है, तो रिकवरी रेट और सुविधाओं को नज़रअंदाज कर बिहार की जनता को डरा रहे हैं। आखिर उनके मन में क्या है, पहले तो टेस्टिंग के नाम पर हल्ला किया, अब जब टेस्टिंग की संख्या बढ़ी है तो मरीजों की बढ़ी संख्या को दिखाकर लोगों को डरा रहे हैं।
यह उनकी कैसी राजनीति है जो बिहार की जनता को बरगलाने और डराने का काम कर रही है।
इस घोर संकट काल में जब आम जनमानस पहले ही कोरोना से जूझ रहा है, तो क्या यह अच्छा नहीं होता कि नेता प्रतिपक्ष भी सरकार के साथ एक सकारात्मक जनमत के निर्माण में अपना सहयोग देते, न कि असत्य पर आधारित अफवाह की खेती करते।
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