केंद्रीय सरकार और गृह मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए , सीमा सुरक्षा बल की जांच एवं निगरानी क्षेत्राधिकार में बहुत दिनों से प्रतीक्षित वृद्धि कर दी है। ज्ञात हो कि गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्राधिकारों में परिवर्तन की ये घोषणा , पिछले काफी समय से सुरक्षा बलों व अर्धसैनिक बलों की इनपुट और अनुशंसा पर किया गया है जिसके बहुत सारे दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।

सरकार ने सीमा सुरक्षा बल क़ानून 1968 की धारा 139 में केंद्र सरकार को प्रद्दत अधिकारों का प्रयोग करते हुए सीमा सुरक्षा बलों के सुपुर्द क्षेत्रों को पुनरीक्षण के बाद उनमें परिवर्तन किया है। विशेषकर तीन राज्यों , पंजाब , बंगाल और असम। ज्ञात हो कि तीनों ही राज्य देश की सीमा से लगते हैं और तीनों के साथ ही सीमा पर देशों से कई तरह की परेशानियाँ हैं। जिन्हें देखते हुए ही ये परिवर्तन किए गए हैं।

पहले सीमा सुरक्षा बल राज्य की सीमा से 15 किलोमीटर अंदर तक जाकर जांच , निरीक्षण , गिरफ्तारी व् ज़ब्ती आदि की कार्यवाई कर सकती थी जिसे अब बढ़ाकर 50 किलोमीटर के विशाल क्षेत्र तक कर दिया गया है। बंगाल और असम , जहाँ बांग्लादेश से गौ तस्करी , नकली नोटों का व्यापार आदि अपराध लगातार इन राज्यों को कठिनाई में डाले हुए हैं तो वहीँ पंजाब सीमापार पाकिस्तान और खालिस्तानी आतंकयों द्वारा नशे और अवैध हथियारों के व्यापार से त्रस्त।

अब केंद्रीय बलों की उपस्थिति और उन्हें दिए गए अधिकारों से इन सब पर बहुत अधिक सख्ती और लगाम लगाया जा सकेगा। कहीं यदि राज्य सरकार और स्थानीय पुलिस इन अरपाधियों को संरक्षित करने का प्रयास भी करेगी तो वो अब संभव नहीं हो सकेगा।

सीमा सुरक्षा बल को अन्य राज्यों में प्रदत्त क्षेत्राधिकार में भी परिवर्तन किया गया है। जैसे गुजरात में पहले ये सीमा 50 किलोमीटर तक थी जिसे अब घटा कर २० किलोमीटर कर दिया गया है।

सरकार के इस अहम् फैसले से जहाँ सीमापार से जारी अवैध गतिविधियों पर भी लगाम कसी जा सकेगी वहीँ स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ इनकी किसी भी साँठ गाँठ पर भी विराम लग जाएगा।

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