‘आंदोलन 969’ क्या आप इस नाम से वाकिफ हैं? दरअसल आज बुद्ध पूर्णिमा है पूरी दुनिया महात्मा बुद्ध के संदेश शांति , अहिंसा , सत्य,  प्रेम, करुणा को मना रही है मगर दुनिया के वर्तमान हालातों को देखते हुए हमें जरूरत है संत विराथु जैसे बौद्ध भिक्षुओं की …जी हां बर्मा के बौद्ध भिक्षु विराथु.. जिनके नाम से ही रोहिंग्या मुसलमान कांप जाते हैं। 


बौद्ध भिक्षु विराथु के भाषणों से बर्मा की हर गली 2001 में गूंजा करती थी … हर गली मोहल्ले नुक्कड़ चौराहे पर विराथु की सीडी बिका करती थीं। विराथु ने आवाहन किया था कि बर्मा के राष्ट्रवादी लोग अगर खुद को देशभक्त कहते हैं तो वह म्यांमार में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों से कोई भी सामान नहीं खरीदेंगे। विराथु का यह कथन दुनिया में मशहूर हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि आप कितने भी दयावान हों मगर आप एक पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते हैं। 


दरअसल बर्मा में बढ़ते हुए लव जिहाद और कट्टर मुस्लिम तबकों की दादागिरी के चलते मोक्ष जैसे सिद्धांतों को मानने वाले शांतिप्रिय बौद्ध भिक्षुओं ने आखिरकार हथियार उठा लिए। अब आप सोचिए वह क्या परिस्थितियां रही होंगी जिसके चलते बौद्ध भिक्षु जैसे शांतिप्रिय लोगों को भी हथियार उठाने पड़े। बौद्ध भिक्षु विराथु के नेतृत्व में बर्मा में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ गुस्सा इसलिए पैदा हुआ क्योंकि रोहिंग्या मुसलमान ने बौद्ध लड़की का बलात्कार कर दिया था इसके अलावा बर्मा की सैनिक टुकड़ी पर रोहिंग्या मुसलमानों ने हमला बोल दिया था इसके बाद वहां की सेना ने एकतरफा कार्रवाई कर करीब दो लाख रोहिंग्या को वहां से खदेड़ दिया।

अब बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर पर आप सोचिए कि जिस शांतिप्रिय समुदाय को विश्व में सबसे ज्यादा शांत कहते हैं उन बौद्ध भिक्षुओं को रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हथियार क्यों उठाने पड़े ? आखिर वह क्या परिस्थितियां रही होंगी? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इस्लाम के तथाकथित ठेकेदारों को आत्ममंथन कर सोचना चाहिए कि उनके मजहब के खिलाफ ही इस तरीके के आंदोलन तमाम मुल्कों में क्यों किए जाते हैं।

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