कोरोना के आसपास अगर कुछ लोगों की दुर्गति एकदम परम(वही आजकल लाइट मार रहे हैं जो ) लेवल की हुई है तो उनमे से चीन पाकिस्तान और इनके गुर्गे आतंकियों का नंबर सबसे पहला रहा है | हर जगह ,हर देश में अब लात मार मार कर इनकी दुकान बंद की जा रही है |

पेरिस में हेब्दो के कार्टून को लेकर जो खूनी खेल खेला जा रहा है उसमे फिर से इजाफा करते हुए एक शिक्षक का सरे आम गला ही काट डाला गया , सोच कर ही घिन्न आती है इस कट्टरता पर | मगर गए वो जमाने , फ्रांस वालों ने शायद कुछ और सोच रखा था |

जब कोरोना से लड़ सकते हैं पिस्सुओं तो फिर तुम्हारी इस बुजदिली से डर कर लोग बोलना छोड़ देंगे ? देश भर के तमाम इमारतों पर उन्हीं हेब्दो के समर्थन में कार्टून ,बैनर पोस्टर सब लगा दिए | जाओ अब घुसो , और सामने से जाकर कहो करो | लाखों लोगों ने एक साथ एकत्र होकर इस कायरता को ललकारा था और तुरंत ही 56 संदिग्ध मुगलिया संस्थाओं पर काम शुरू हो गया |

अभी कुछ दिनों पूर्व ही स्वीडन के पुलिस कमिशनर की चेतावनी भी कुछ इसी प्रसंग में थी कि पहले शरणार्थी बन कर प्रवेश करने वालों ने सिर्फ पांच वर्षों के अंदर ही शहरों को सम्गलरों का अड्डा बना कर छोड़ दिया और ये बहुत खतरनाक स्थिति है और दूसरों के लिए सावधान होने का सबक भी |

जिस तरह से तुर्की जैसा देश खुद को नया मुगलिया खलीफा महसूस करवा रहा है और जैसे मौन प्रत्यक्ष परोक्ष सहमति उसे दूसरे चिन्दी से कट्टर मुग़ल देशों से मिल रही है तो देर सवेर एक बार फिर दुनिया को बहुत सारी हदें तय करनी होंगी , लेकिन उसके लिए दुनिया के होने रहने की संकल्पना बेहतर है या क़यामत के दिन आने के इंतज़ार वाला ख़्वाब -यही निर्णय होना है |

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