अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब पहली बार कोरोना वायरस का जनक चीन को मान कर उसे सार्वजनिक मंचों पर चायनीज़ वायरस कह कर सम्बोधित करना शुरू किया था तो इस बात के पर्याप्त सबूत होने के बावजूद कि वो वायरस कहीं न कहीं चीन के वुहान लैब में जैविक छेड़छाड़ करके उसे इंसानों के विरूद्ध एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के किसी प्रयोग के प्रतिकूल रहने का परिणाम था , इसके बावजूद चीन ने पूरी दुनिया को आँखें दिखाईं कि ये कभी भी साबित नहीं किया जा सकता।
भारत के लोकसभा चुनावों के नतीजे ये एक बार फिर साबित कर देते हैं कि इस देश के लोग अब वाकई एक राष्ट्रवादी हितों के लिए प्रतिबद्ध सरकार ही चाहिए तो भारत के वो पडोसी और चिर प्रतिद्वंदी जिन्होंने बार बार द्विपक्षीय रिश्तों के विशवास को तोड़ा , चीन और पाकिस्तान सरीखे देशों के राजनेताओं और सत्तासीन दलों के लिए ये एक झन्नाटेदार तमाचा पड़ने जैसा था कि इतने बड़े लोकतंत्र ने इतने विशाल बहुमत से अपने लिए एक प्रखर राजनैतिक विचार को स्पष्ट बहुमत देकर चुन लिया। और इन देशों का डर भी ठीक था कि पिछले दो सालों में पाकिस्तान और चीन की जो दुर्गति भारत ने की वो इससे पहले आज तक कभी नहीं हुई थी। और यही बात इनसे हज़म नहीं हुई।
चीन जो विश्व का सबसे स्वार्थी , धूर्त और मौकापरस्त देश है उसने अपनी प्रसारवादी नीति को और दृढ़ता से लागू करने के लिए तथा दक्षिण एशिया सहित पूरी दुनिया में अपनी चौधराहट बरकरार रखने के लिए वही रास्ता अख्तियार किया जिसकी आशंका पिछले कई दशकों से जताई जा चुकी थी
जो अमेरिका , ईरान -इराक पर हमला करने के लिए इन दोनों देशों द्वारा जैविक हथियार निर्माण किए जाने की आशंका को आधार बना कर कई बार इन पर पिल पड़ा ,वही अमेरिका चीन में वुहान में वायरस से छेड़छाड़ करके उसे और अधिक घातक जैविक हथियार बनाने में उसका सहयोगी बन जाता है .
अमेरिका के बाद ब्राजील वो देश है जिसने कोरोना महामारी को चीन द्वारा अपनी अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लये पूरी दुनिया पर चलाया गया जैविक हथियार करार दिया है . ये इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्यंकि दुनिया में चीन ही ब्राजील का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और इसके बावजूद भी ब्राजील ने चीन पर न सरफ ये आरोप लगाया है बल्कि चीन द्वारा कोरोना के इलाज के लिए दी गई चिकित्सा सामग्री के सतह -साथ वैक्सीन के घटिया स्तर की आपूर्ति करके पैसा बनाने का आरोप भी लगाया है .
अभी हाल ही में आस्ट्रेलियाई मीडिया ने सनसनीखेज़ खुलासा करते हुए बताया कि चीन अपने इस जैविक युद्ध के प्रभाव से खुद को और अपने मित्र देशों को बचाने के लिए इस महामारी के वैश्विक प्रसार से कहीं पहले यानि वर्ष 2015 में ही इसके टीके की खोज पर शोध शुरू कर दी थी
आज जब दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था बिल्कुल बुरी तराह से पस्त और बर्बाद हो गई है तो ऐसे में चीन की अर्थव्यबवस्था पिछले सात वर्षों में दुनिया की नंबर एक अर्थव्यवस्था बन गई है . मानवता की बलि चढ़ा कर अपनी तिजोरी भरने वाला चीन ये भूल गया कि उसकी इसी नीयत और कृत्यों के कारण आज भी चीनी कीड़े मकोड़े कुत्ते सुअर केंचुए चमगादड़ आदि खाकर ही अपना पेट भरने को मजबूर हैं .
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