चीन की सरकार अपने देश में मुस्लिम चरमपंथी ताकतों के बढ़ने के मुद्दे पर काफी संजीदा है और चीन की सरकार डिटेंशन कैम्प बनाकर मुस्लिम औरतों की जबरन नसबन्दी कर रही है। चीन डंके की चोट पर मुस्लिमों के वजूद को कुचल रहा है और दुनिया के 56 इस्लामी मुल्क 56 इंची टेप जुबान पर लगाकर एकदम खामोश हैं। हमारे देश में बात बात पर अवार्ड वापसी के जुमले फेंकने वाले टुकड़े टुकड़े गैंग के तमाम मोमबत्ती पत्तलकार और कलाकार चीन की चौधराहट के सामने चूहे बने हुए हैं। भारत में अल्पसंख्यक जितना आराम से है जिसे भी इस बात पर शक हो वो कृपया चीन में उइगूर मुसलमानों की स्थिति देख ले।
चीन की सरकार के मुताबिक उइगर के गरीब मुस्लिम चरमपंथियों के बहकावे में आकर फैमिली प्लानिंग का विरोध कर रहे थे। उन्हें सही पर रास्ते पर लाने के लिए कई कदम उठाए गए जो सफल रहे हैं। (हमने कोई जबर्दस्ती नहीं की है, पश्चिमी देश इस तरह की गलत खबरें फैला रहे हैं।) चीन का कहना है कि जबर्दस्ती के आरोप निराधार हैं। अमेरिका में रह रहीं उइगर लेखिका रयान असत उइगर के मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। असत के मुताबिक “चीन की सरकार, उइगर मुस्लिम महिलाओं को चरमपंथी मानती है ,हमें extremist कहा जाता है, हमेशा शक की नजर से देखा जाता है। मुझे पता नहीं मेरा भाई, मेरे मां बाप कहां हैं, किस हाल में हैं।“
पिछले साल उइगर की एक महिला शिक्षक कल्बे नूर सिद्दीक के टेप से खुलासा हुआ था कि शिनजियांग प्रांत में चुन चुन कर गर्भवती महिलाओं का गर्भपात किया जा रहा है। सिदिक के मुताबिक उन्हें भी एक कैंप में महीनों रखा गया और उनके प्राईवेट पार्ट्स में ऐसी डिवाइस लगा दीं जिससे वो मां न बन सकें। इतना नहीं इसके बाद 2019 में 16 साल से लेकर 60 साल की महिलाओं के लिए बंध्याकरण (sterlisation) कानून बना दिया गया है।
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