चीन की एजेंसियों ने पैसों और ब्लैकमेलिंग के जरिये बनाया जासूसों का नेटवर्क
राजीव शर्मा का मामला केवल एक छोटा सा उदाहरण हैं, अभी कई बड़ी मछलियां पकड़ी जानी बाकी हैं जो भारत में रहकर चीन के लिए काम कर रही हैं।
खुफिया एजेंसियों की माने तो देश के मीडिया में चीन के एजेंट टॉप लेवल तक बैठे हुए हैं।
जिस प्रकार से राजीव शर्मा को बचाने के लिए प्रेस क्लब ऑफ इंडिया तक में एक गैंग आगे आया हैं उससे ये और साफ हैं कि पैसों और लड़कियों के दम पर चीन के इशारों पर नाचती कतपुतलियां अभी और भी हैं
अगर देश के कुछ जाने माने अखबारों और न्यूज़ चैनल की खबरों पर नजर डाले तो ऐसा लगता हैं जैसे सीधे चीन के ग्लोबल टाइम्स से खबर लिखवा कर भारत में दिखाई जा रही हैं।
ऐसी फेक खबरों के आधार पर राहुल गांधी जैसे नेता अपने ही देश और सेना के खिलाफ अभियान चलाते हैं।
गद्दार राजीव शर्मा 2013 से ग्लोबल टाइम्स के लिए लिख रहा था। राजीव शर्मा बार बार अपने आर्टिकल्स में लिख रहा था कि अगर भारत ने चीन से बराबरी से बात की तो चीन हमला कर सकता हैं, आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता हैं। यही देश को डराने की भाषा कई अन्य अखबार और पत्रकार भी लगातार लिख रहे हैं।
नेपाल के मुद्दे पर भी भारत के खिलाफ लिखना और बोलना ये राजीव शर्मा का काम था। देश में ऐसे कई और पत्रकार हैं जो यही काम कर रहे हैं।
चीन की एजेंसियां पैसों और ब्लैकमेलिंग के सहारे पत्रकारों को बनाती हैं अपना दलाल।
ऐसा लग रहा है कि राजीव शर्मा की गिरफ्तारी बस एक शुरूआत हैं और अभी चीन के पैसों पर भारत से गद्दारी करने वाले कई बड़े नाम सामने आने बाकि हैं।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.