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राष्ट्र पर विपत्ति या आपदा आने के बाद हर देशभक्त अपने देश को बचाने की जुगत में लगा रहता है। वहीं अगर विपत्ति काल में देश के अंदर रहने वाले कुछ लोगों द्वारा सहयोग किए जाने की जगह पर कमियां दिखाना शुरू कर दें। आरोप-प्रत्यारोप लगाकर काम करने वालों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करें। राष्ट्र की सत्ता पर बैठे लोगों को पूरे विश्व स्तरीय बदनाम करने की कोशिश करें। तो ऐसे लोगों को आप क्या कहेंगे यह आप खुद ही तय कर लें।

आज पूरा विश्व चीनी वायरस कोरोना की चपेट में आकर करोड़ों लोग काल के गाल में समा गए। हर देश अपने अपने स्तर से और अपनी अपनी क्षमता के अनुसार इस महामारी से उबरने की कोशिश कर रहा है। इस महामारी और विपत्ति काल में भारत भी अछूता नहीं रहा। तेजी से बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था पर विदेशी षड्यंत्र के तहत कोरोनावायरस के जरिये लगाम लगाने की कोशिश की गई। वहीं दूसरी ओर भारत के कुछ तथाकथित निष्पक्ष मीडिया और वामपंथी विचारधारा के बुद्धिजीवी इस आपदा के समय पर भी अवसर की तलाश में हैं। ऐसे मौके पर भारत के विपक्ष में बैठी अपने आप को भारत का हित चिंतक कहने वाली कांग्रेस भी सत्ता पाने की चाह में अपने देश को विश्वस्तरीय बदनाम करने का षड्यंत्र से पीछे नहीं हट रही। देश पर जब विपत्ति आई है तो पक्ष और विपक्ष दोनों को मिलकर इस महामारी में जनता की सेवा करने की जरूरत थी मगर ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा।

इन मामलों में विपक्ष का सबसे बड़ा हथियार वर्तमान की तथाकथित निष्पक्ष मीडिया और तथाकथित पत्रकार भरपूर साथ देते नजर आ रहे हैं। इन मामलों में ऐसे कई मीडिया संगठन है जो भारत को बदनाम करने की कोई कसर नहीं छोड़ते। द क्विंट, द वायर, एनडीटीवी जैसे कई मीडिया संगठन हैं जो अपने आप को निष्पक्ष कहते नहीं थकते। ऐसे लोग निष्पक्षता और अभिव्यक्ति की आजादी के आड़ में विपक्ष और विदेशी संगठनों के सहयोग से पूरे भारत को और भारत की संप्रभुता पर चोट मारने से कभी नहीं चूकते।

मीडिया और विपक्षियों का गठबंधन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की जहां पूरा देश एनडीटीवी जैसे चैनलों को नकार चुका है उसका प्रचार प्रसार करने के लिए आम आदमी पार्टी भी पूरी तरह तैयार दिखाई दे रहा है। विपक्षी एजेंडा चलाने की वजह से एनडीटीवी और रविश कुमार और ना इन जैसे संस्थाओं की गिरती साख को बचाने की भी मुहीम चलाई जा रही है। आम आदमी पार्टी के यूट्यूब चैनल से रविश कुमार के इस विडियो को शेयर किया था। इस विडिओ को लगभग 4 लाख लोगों ने देखा। राजनैतिक दलों का गठबंधन तो भारत शुरू से देखता आया है मगर एक राजनैतिक दल और मिडिया का ऐसा गठबंधन देखने को मिलना देश के लोगों में आश्चर्य का विषय जरुर है।

एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार इस विडियो के माध्यम से कोरोना महामारी के दौरान पूरे विश्व के कई देशों का गुणगान करते दिखाई दे रहे थे और भारत के टीकाकरण अभियान को शुन्य बताकर उसे बदनाम करते दिखाई दे रहे हैं। रविश कुमार के अनुसार भारत की वर्तमान सत्ता को भारत की जनता की कोई फिक्र नहीं है। उन्होंने यह समझाने की कोशिश किया की भारत अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, भारत के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं, भारत में जहां देखो उधर मौत का भयानक मंजर ही दिखाई दे रहा है, पूरे विश्व में टीकाकरण कराया जा रहा है मगर भारत में अभी तक टीकाकरण के नाम पर कुछ किया ही नहीं किया। इसी विडियो में रवीश कुमार के अनुसार अमेरिका के 39 करोड़ की आबादी में 100 करोड़ टीका उपलब्ध है।कनाडा की आबादी 3.5 करोड़ है और 35 करोड़ टीका कनाडा के पास है । ब्रिटेन के 7 करोड़ की आबादी में 45 करोड़ टीके उपलब्ध हैं।

इन देशों में इतनी अच्छी सुविधा के बावजूद अमेरिका में 13 करोड़ टीका ही लग पाया है। कनाडा में 2 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो पाया। और अंत में ब्रिटेन में 6 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो पाया है। कुल मिलाकर इन तीनों देशों के आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 21 करोड लोगों के बीच टीकाकरण हो पाया जबकि इन देशों के पास 180 करोड़ टीका उपलब्ध है। वहीं अगर हम भारत की बात करें तो भारत की एक सरकार ने अकेले ही 20 करोड लोगों को वैक्सीन मुहैया करा चुकी है और आगे भी यह प्रक्रिया जारी है।

वीडियो में रवीश कुमार यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जब फरवरी में भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहा था कि इस साल कोरोना के टीका के लिए 35000 करोड़ रुपए रखे जाएंगे तो आखिर राज्य को टीकाकरण के लिए पैसे क्यों मांगे जा रहे हैं।

अब इतने बड़े पत्रकार को इस सवाल के पूछने से पहले एक बार होमवर्क भी कर लेना चाहिए था। आज पूरे भारत में लगभग 20 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है और इसका पूरा खर्च भारत सरकार ने ही उठाया है।

एसबीआई की रिसर्च टीम के अनुसार एक व्यक्ति को टीका लगाने पर 700 से 900 रुपए तक का खर्च आ सकता है। इस लिहाज से अगर देखा जाए लगभग 30 से 35 करोड़ लोगों को ही टीकाकरण किया जा सकता है जबकि देश की आबादी लगभग 140 करोड़ है। एसबीआई की रिसर्च टीम के अनुसार ही 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए लगभग 72000 करो रुपए का खर्च आ सकता है। सरकार की ओर से 35000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं उनमें से लगभग 20000 करोड़ खर्च भी हो गए बावजूद इसके रवीश कुमार और एनडीटीवी को विपक्षियों के एजेंडे पर यह बताने की कोशिश में हैं की भारत टीकाकरण में कोसों दूर है।

इसी वीडियो में रवीश कुमार कहते हैं कि राज्यों को टीकाकरण के लिए पैसे क्यों नहीं दिए जा रहे हैं। इस बात की जानकारी इतने बड़े वरिष्ठ और तथाकथित पत्रकार को यह समझना चाहिए कि स्वास्थ्य का मामले के लिए राज्य की जिम्मेदारी बनती है बावजूद इसके अगर केंद्र सरकार 35 हजार करोड़ रुपए से सहयोग कर रही है तो यह सरकार के लिए सराहनीय कदम होना चाहिए जबकि ऐसे मामलों में भी कुछ मीडिया संगठन और राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगे हैं।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के रिसर्च टीम के अनुसार अगर देश में 18 से 45 साल के आयु वर्ग के सभी लोगों को राज्य सरकार द्वारा व्यक्ति लगाया जाएगा तो वैक्सीनेशन में कुल खर्च 43565 करोड़ होगा। इसके साथ ही भारत के 20 बड़े राज्यों का पूर्ण रूप से टीकाकरण कराया जाए तो 3.7 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। अब अगर ऐसे में भारत सरकार अपने राज्य सरकारों से टीका खरीदने को कह रही है तो राज्य सरकारों को राजनीति करने के बजाए अपनी जिम्मेदारी समझने की कोशिश की जानी चाहिए।

इसके साथ ही इस वीडियो में रवीश कुमार को आम आदमी पार्टी दिल्ली में लगाए गए पोस्टर विवाद के समर्थन में केंद्र सरकार को घेरते नजर आए। मगर पूरे देश के कांग्रेस प्रशासित कई राज्यों में करोड़ों टीका की बर्बादी कर दी गई उस पर उन्होंने ना तो कोई प्राइम टाइम शो किया और ना ही इस पर कोई न्यूज़ बनाने की जद्दोजहद किया। राजस्थान में टीकाकरण के आंकड़ा को बढ़ाने के लिए मृतक लोगों के नाम भी टीका लेने वाले लोगों में शामिल कर दिया गया मगर अपने आप को निष्पक्ष कहने वाली एनडीटीवी मीडिया और रवीश कुमार के जुबान से एक शब्द अब तक किसी ने नहीं सुनी।

आज से ढाई हजार साल पूर्व महान राष्ट्रभक्त आचार्य चाणक्य ने कहा था की दुख के समय में जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से आपका साथ दे वही आपका सच्चा मित्र हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति संकट में, बीमारी में, दुश्मन के हमला करने पर, राज दरबार में और शमशान में आपके साथ खड़ा रहता है तो वो आपका सच्चा मित्र है। यही वो समय होते हैं जब आप अपनी मित्रता को परखते हैं। आज पूरे भारत में ऐसे लोगों को परखने का समय है।

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