क्लासिक फिल्म दीवार में एक डायलॉग है..जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ..जिसने मेरे बाप का साइन लिया था..जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ..जिसने मेरी मां को धक्के देकर नौकरी से निकाल दिया था..जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ..जिसने मेरे हाथ में लिख दिया था कि मेरा बाप चोर है..उसके बाद मेरे भाई तुम जिस कागज पर कहोगे, मैं साइन कर दूंगा..
मैं इस बात को लेकर कतई मुतमईन था कि जिस तरह महंगी शिक्षा ने जनसंख्या कंट्रोल करने में (कम से कम शहरों में) अहम भूमिका निभाई है..उसी तरह महंगे पटाखे भी आतिशबाजी और दीवाली पर पटाखा फोड़ने पर रोक लगा देंगे लेकिन जब से प्रदूषण के नाम पर पटाखों को बलि का बकरा बनाया जाने लगा..हिंदुओं के त्योहारों को ज्ञान पेलने का अवसर समझा जाने लगा तब से लोगों ने पटाखे फोड़ने को मिशन बना दिया..कल दीवाली की रात कुछ लोगों से फोन पर बात हुई…आज ट्विटर पर भी देखा…सब यही कह रहे थे कि बैन की खिलाफत करने के लिए ही पटाखे फोड़ रहे हैं..पहले चार-पांच सौ के पटाखे लाते थे..अब हज़ार-दो हज़ार के ला रहे हैं..उनकी बातों से असहमति जताने का कोई औचित्य नहीं था..
अब आप ज्ञान देंगे कि प्रदूषण का क्या ? पहली बात..चूंकि मैं दिल्ली में हूं..इसलिए दिल्ली के बारे में कह सकता हूं..दिल्ली का आसमान कल से ज्यादा साफ दिख रहा है..कल भी काफी हद तक साफ था..आज उससे भी साफ है..धूप चमक रही है..जबकि दीवाली से पहले अक्टूबर में कम से कम आधा दर्जन बार पॉल्यूशन की वजह से इससे खराब दिन देख चुका हूं..इतने खराब कि विजिबिलिटी भी काफी कम थी..तब तो पटाखे नहीं फूट रहे थे..अभी आधा नवंबर औऱ दिसंबर बचा हुआ है…प्रदूषण का स्तर और खराब होगा..और ये हर साल होगा क्योंकि हम लोग प्रदूषण की जड़ में जाना ही नहीं चाहते..उसे खत्म ही नहीं करना चाहते..क्योंकि अगर प्रदूषण की जड़ को खत्म करना होगा तो फिर मी लॉर्ड और उन सब ज्ञानियों को भी परेशानी होगी जो पटाखे नहीं फोड़ने का ज्ञान देते हैं..पटाखे फोड़ने और पराली जलाने को बलि का बकरा बनाते हैं, जबकि प्रदूषण का कारण कुछ और ही है
दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण 1- धूल है..इसके बाद 2- इंडस्ट्रीयल पॉल्यूशन..फिर 3- व्हीकलर पॉल्यूशन..4- फिर AC…इसके बाद 5- पराली…पटाखों की तो कहीं गिनती ही नहीं है क्योंकि पटाखों का असर कुछ घंटों तक रहता है..अब मैंने आपको पॉल्यूशन के कारणों का सीक्वंस बता दिया..अब आप ईमानदारी से बताइये क्या आपने किसी सरकार को देखा जिसने प्रदूषण दूर करने के लिए पहले चार कारणों पर कंट्रोल पाने की कोशिश की हो..नहीं देखा होगा..क्योंकि उसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए..लॉग टर्म प्लानिंग चाहिए..वो तो नेताओं से होगी नहीं..बस सितंबर का महीना आते ही बरसाती मेंढकों की टर्र-टर्र की तरह पराली-पटाखे..पराली पटाखे जपना स्टार्ट कर देंगे…इन पर बैन लगाने की बात कहकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेंगे..
प्रदूषण की खबरें देखते हुए आप 2 शब्द अक्सर सुनते होंगे..PM2.5 और PM10..प्रदूषण मापने के पैमाने हैं ये..PM2.5 अगर 50 से नीचे हो और PM10 अगर 100 से नीचे हो तो ये परमिशबल लिमिट मानी जाती है..लेकिन अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर में दिल्ली में PM2.5 का स्तर अक्सर 450 से 500 के बीच रहता है जबकि PM10 का स्तर 900 से ऊपर..पटाखे तो एक ही दिन फूटते हैं..फिर ये प्रदूषण क्यों होता है ? वजह वही है जो बता चुका हूं..लेकिन उसे दूर करने के उपाय कोई नहीं करता..
आखिर में बात विराट कोहली की कर लेते हैं क्योंकि कल ज्ञान उसी ने दिया था और दिनभर ट्वीटर पर ट्रेंड रहा..अगर आप आईपीएल के मैच देखते हैं तो आपको पता होगा हर चौके-छक्के या कैच पर पटाखे फोड़ते हैं..एक स्पेशल मशीन लगी होती है जो आग निकालती है..फाइनल के बाद कितनी जबरदस्त आतिशबाजी होती है..आपने देखा ही होगा..क्रिकेट मैच के लिए ग्राउंड तैयार करने में कितने लाख लीटर पानी बर्बाद होता है..ये आपको पता ही होगा..कोहली के पास करीब एक दर्जन लग्जरी कारें हैं…जाहिर है ये भी कार्बन डाइ ऑक्साइड ही छोड़ती होंगी..ऑक्सीजन नहीं..कुछ साल पहले गुरुग्राम प्रशासन ने कोहली पर 500 रूपये का जुर्माना लगाया था क्योंकि उसके घर पर पीने वाली पानी से गाड़ियां धोयी जा रही थी..यही नहीं विराट औऱ अनुष्का प्राइवेट जेट से यात्रा करते हैं..3 घंटे की ट्रिप में प्राइवेट जेट 6 टन कॉर्बनडाइ ऑक्साइड (CO2) छोड़ता है..जबकि भारत में हर साल एक व्यक्ति 1.8 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ता है..
इसलिए जिनके खुद के घर कांच के हों उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए…त्योहार बधाई देंने के लिए होते हैं ज्ञान देने के लिए नहीं… और ऊपर से ज्ञान भी दोगलेपन वाला..
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