दिल्ली दंगों की हिंसा में जिस शख्स को सबसे पहले उपद्रवियों ने हिंसा का शिकार बनाया उसका नाम कॉन्स्टेबल रतन लाल था। शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतनलाल दिल्ली के भजनपुरा में एसीपी के साथ ड्यूटी कर रहे थे तभी वहां मौजूद भीड़ ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया। हेड कांस्टेबल रतन लाल अपने डीसीपी अमित शर्मा को मौके से बचाने की कोशिश में लगे हुए थे और इसी के चलते हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ पत्थर बरसाए और तब बहुत करीब से उनके सीने में गोली मार दी। कॉन्स्टेबल का रतन लाल राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे।
हालांकि रतन लाल के हत्यारों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया, मगर ये सवाल पूछे जाने चाहिए कि आखिर इतने सुनियोजित तरीके से क्यों और कैसे दिल्ली पुलिस के इस जवान की हत्या कर दी गई। पुलिस का कहना है कि रतनलाल की हत्या पूरी साजिश के साथ की गई थी। हत्या के एक दिन पहले नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शन के बाद पुलिसबल पर पत्थरबाजी की योजना बनाई गई थी। इस साजिश के तहत ही पत्थरबाजी की गई जिसमें रतनलाल की जान चली गई।
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