हमारे भारत देश की संप्रभुता एकता व अखंडता पर निरंतर आघात करने वाले मिशनरी पैसे के बल पर पल रहे वामपंथी बुद्धिजीवी अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं। प्रोफ़ेसर दिलीप मंडल इसी वामपंथी लिबरल जमात का एक अदना सा नाम है।

दिलीप मंडल अक्सर अपने नफरत भरे ट्विटर ,फेसबुक पोस्ट के द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ जहर उगलता रहता है मगर क्या मजाल है किसी की जो इसके खिलाफ शिकायत कर दें क्योंकि यह हर समय दलित कार्ड खेलने के लिए तैयार रहता है।

पूरे देश में राजेंद्र पाल गौतम के वीडियो के बाद यह आवाज उठ रही है कि आखिर क्यों हिंदू धर्म के लोगों को बौद्ध धर्म में जाने के लिए उकसाया जा रहा है । दिलीप मंडल ने आज ट्विटर पर एक पोस्ट वायरल की ओर इसमें जनता को संबोधित करते हुए लिखा कि बौद्ध धर्म कबूल करने पर आपके अनुसूचित जाति वाले अधिकारों का हनन नहीं होगा यानी कि वह दलित समुदाय के लोगों को उकसा रहा है कि वे लोग बौद्ध धर्म कबूल कर ले।

हैरानी यह होती है कितने लंबे समय से यह शख्स सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगल रहा है उसकी जड़ों में अपनी कुटिलता का मट्ठा डाल रहा है, मगर इसके बावजूद यह शख्स आजाद है। दरअसल इसे माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी व दिल्ली के आईआईएमसी से हटा दिया गया क्योंकि यह राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों का विरोध करता रहा है इसके नक्सलवादी एजेंडे के खिलाफ सरकार को शिकायतें मिली थी और इसे हटा दिया गया और इसी बात से तिलमिलाकर यह सनातन धर्म पर अपनी खीझ उतारता है।

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