वहशत हई , हैवानियत की , पराकाष्ठा देखनी हो तो किसी मुगल द्वारा किए गए अपराध को देखा जा सकता है . चाकुओं से पूरे शरीर को गोद डालना , मार काट कर बोरे में भरके फेंक देना , आँखें निकाल लेना , जैसे घृणित अपराध करने के अभ्यस्त मुगल अपनी इस राक्षसी प्रवृत्ति का शिकार इंसान , पशु पक्षी सबको बनाते हैं .
अभी हाल ही में ऐसा ही एक अपराध महाराष्ट्र के रायगढ़ में देखने को मिला . फलों की रेहड़ी लगाने वाले बशीर की रेहड़ी से एक गाय ने चलते चलते एक छोटा सा पपीता मुंह में डाल लिया .
ये देख कर बशीर गुस्से में भर कर अपने घर से बड़ा सा छुरा ले आया और गाय का पेट चीर दिया , इसके बाद गाय के पैरों पर भी चाकू मार कर उसको बुरी तरह से घायल करके अपनी रेहड़ी पर यूँ बैठ गया मानों कुछ हुआ ही न हो .
आसपास गुजरते लोगों ने बुरी तरह से घायल गाय को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया और पुलिस को खबर कर दी . पुलिस ने आरोपी बशीर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है .
अब कल्पना करिए उस वीभत्सता का ,उस हैवानियत का , कि एक निरीह पशु , वो भी वो पशु जो मानव सभ्यता के सबसे करीब और जननी प्रकृति का निर्दोष प्राणी मात्र एक पपीता खाए जाने की कीमत अपना पेट फड़वा कर चुका रहा है . यकीन मानिए ये कट्टरता यूं ही और रातों रात नहीं आती , कई नस्लों को बर्बादी और हिंसा का सबक सिखाया समझाया जाता है वो भी इसी तरह कभी पीठ में छुआ भोंक कर तो कभी पेट में .
सोचिए आप भी , क्योंकि आज और अभी से ये सोचा जाना जरूरी है .
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