अभी , सिर्फ कुछ दिनों पहले ही , पूरे देश का मीडिया , मीडिया की तमाम तेज तर्रार महिला सम्पादक , सभी राजनैतिक दल और बात बात पर मोमबत्ती और तख्तियां लेकर आने वाले सुधारवादी गैंग ने हाथरस के नाम पर जो सर्कस देश दुनिया को दिखाया था , उसमें से एक भी , आधा भी कोई अभी बोलता कहता दिख रहा है क्या ? निकिता की हत्या पर ?
अच्छा चलिए मीडिया तो भाण्ड हो गया है बल्कि कई मायनों में तो उससे भी बदतर , तो उसकी हालत तो पैसा फेंक तमाशा देख वाली सी होकर रह गई है बस | लेकिन महिला संगठनों का क्या , नारियों ,युवतियों , लड़कियों को सशक्त बनाने , उनके अधिकारों के लिए , सुरक्षा शिक्षा के लिए लड़ने वाले तमाम संस्थाओं संगठनों को ऐसे समय पर आखिर कौन सा कोमा मार जाता है ?
चलिए माना कि महिला संगठन ,संस्थाएं भी कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित संस्थाएं भर होकर रह गई हैं | चलिए ये भी मान लिया | तो भी क्या ,कहाँ हैं वो संसद में चरसी बॉलीवुड के सुरक्षा मांगने वाली सांसद , कहाँ हैं वो ट्विट्टर पर पूरे दिन कर्कश ट्वीट के स्वर से नारी अधिकारों का झंडा बुलंद करने का दिखावा करने वाली अभिनेत्री , अच्छा वो , जेएनयू जाकर छपाक से लड़कियों का दर्द महसूसने वाली , या इसने उसने। .किसी ने भी , कहीं कोई दर्द उठा , कोई चीखा ??
अरे हाँ वो कौन लोग थे जिन्हें भारत में रहते डर लगने लगा था कर उनकी पत्नी उन्हें देश छोड़ने कर जाने के लिए कह रही थीं क्यूंकि बकौल उनके अब भारत में मुग़ल सल्तनत और उनकी मुगलिया औलादें बहुत खतरे में हैं डरी हुई हैं |
अपने पट्ठे तौसीफ को यूँ सरे आम हवस की हैवानियत का सच्चा जेहाद देखते दिखाते अब फख्र से सुलतान तो बन रहे होंगे या फिर पठान किंग खान | भई दिल्ली बंगलौर के दंगों के बाद , दिल्ली के राहुल और मेवात की अंकिता के बाद और ऐसे तमाम अपराधों गुनाहों के बाद तो तुम्हारा डर थोड़ा कम होता ही होगा -भई आमिर खान |
ये जो दिन रात उत्पात मचा रहे हो न , ये मत समझना की तुम्हारी सारी बौखलाहट और खीज सबको समझ नहीं आ रही है | बस देखना अब ये भर है कि भारत कब तक लिब्रान्डु बना हुआ यूँ क़त्ल होता रहेगा या फिर फ्रांस की तरह ,इन फुंफकारने वाले तमाम नागों का फन कुचल देगा , हमेशा की तरह |
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Ye sonchne waali baat hai agar hamare khud k desh me hm hindu ki ye haal hai to kiss wajah se hai …sirf ek wajah hai hm ek nhi hain …..kyun in saare chizon k liye sakht kanoon bane …jaise rape ,murder,love jihad or terrorist k liye court k taraf se koi saza na ho or…jo saza mile wo public decide kre ki kya krna hai unke sath……public opinion se bda superem court judge v nahi hai or naa hi iss desh ka president ye saare log indirectly public k through hi select hote hain or public ka opinion hi nahi important h iss desh me …technology inta aage aa gya hai iska use criminal ko punish krne me kyun nhi kiya jaaye ….public ka opinion jaate ki koi v criminal ho agar uska crime sensitive ho to public decide kre kya krna hai ….nhi to yahan iss desh me roz ekk nikita ,ek priyanka ,ek nirbhaya hogi….iss desh ka kanoon sirf kamzoro k liye hai or thookta hu aise kanoon pr…
आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ