देश की बेटी, सिस्टर ऑफ सेना,
Indian Youth Leader Parvati Jangid
कई बार महिलाएं दूसरों के लिए तो लड़ती हैं, लेकिन खुद के लिए नहीं लड़ पाती हैं। पार्वती ने इन सारे मिथकों को तोड़ा है। उन्होंने खुद का बाल विवाह निरस्त करवाया। दसवीं के बाद छुड़वा दी गई पढ़ाई फिर शुरू की और स्नातकोत्तर तक की डिग्री ले ली। देश के पश्चिमी सरहद से सटे बाड़मेर के गागरिया गांव की रहने वाली पार्वती जांगिड़ पार्वती चार बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके बाद दो छोटे भाई हैं। छोटे दो भाइयों के साथ पली-बढ़ी इस बेटी के जीवन की शुरुआत ही संघर्ष से हुई।

ग्रामीण परिवेश के होने के कारण नाबालिग अवस्था में ही घर वालों ने पार्वती का विवाह तय कर दिया। इतना ही नहीं दसवीं कक्षा के बाद उसकी पढ़ाई भी छुड़ा दी थी। कहीं आने- जाने पर रोक लग गई। कुछ संभलती-समझती उससे पहले पिता लुनाराम सुथार का भी देहांत हो गया, लेकिन बिना हिम्मत हारे परिवार को साथ लेकर पार्वती ने ना सिर्फ अपना विवाह निरस्त करवाया बल्कि बंदिशों और रूढ़िवादिता से ऊपर उठ शिक्षा को हथियार बनाया।

पार्वती स्वयं पढ़ी और घर से बाहर निकल अन्य के लिए भी मिसाल बनी। दसवीं के बाद छूट गई पढ़ाई को आगे बढ़ते हुए उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। स्नातक और स्नातकोत्तर किया। वो कहती हैं, क्या फर्क पड़ता है कि लड़की का जन्म कहां हुआ है, गरीब के घर या अमीर के घर? गांव में या शहर में? कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे सपने देखने का हक है। यह जरूरी नहीं कि आप के पास सब कुछ अच्छा ही हो, लेकिन अगर आप के पास आत्मविश्वास के साथ हौसला हो तो अपनी हर मुश्किल से पार पाया जा सकता हैं।

वर्तमान में एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रहीं पार्वती अपनी इस जीत की उपलब्धि को देश की हर महिला की जीत बताते हुए कहा कि, मैं शोषित पीड़ित सुविधाओं से वंचित महिलाओं की आवाज बनने की पुरजोर कोशिश करूंगी। जो लोग विश्व में महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहे हैं, उनके साथ मिलकर पूरे विश्व में एक सकारात्मक माहौल बनाने का काम करूंगी। जिससे कि वे समाज व सृष्टि के सृजन को बरकरार रख कर आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन सकें।

युवा संसद का गठन किया: जोधपुर के बालिका आदर्श विद्या मंदिर सीनियर सेकंडरी विद्यालय की पूर्व छात्र रही पार्वती युवा संसद की चेयरपर्सन और फाउंडर प्रेसिडेंट हैं। विवेकानंद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारों से प्रभावित पार्वती अपना भविष्य भी महिला सेवा से जुड़े कार्यो में ही देख रही हैं। उसके अनुसार नारी का जीवन एक संघर्ष ही है, जिसे उसको जीतना ही है।

अनेक लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है पार्वती: पिता के निधन के बाद परिवार को संभाल रहे उनकी बड़ी बहन के पति डॉ मोहन कहते हैं कि द रिपब्लिक ऑफ वूमेन का चुनाव व ब्युटी ऑन अर्थ का खिताब मिलना उनके बुलंद हौसला, ऊंची सोच, उम्मीद, मेहनत का प्रतिफल है। उन्होंने पार्वती की लगन की बेहद करीब से देखा है। वे कहते हैं पार्वती हमेशा सामाजिक सरोकारों में आगे रहती है। वह वास्तव में अनेक लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है, जो उसकी तरह सपने देखती हैं और उसको पूरा करना चाहती हैं। पार्वती ने अपने इस कैम्पेन में आमजन, परिवार के सदस्यों और जनप्रतिनिधियों, आर्मी, बीएसएफ सेना के जवानों और देश विदेश से मिले भरपूर सहयोग के लिए भी सभी का आभार व्यक्त किया और इसे सामूहिक उपलब्धि बताया।

इसलिए कहते हैं पार्वती को सेना सिस्टर: बाड़मेर की रहने वाली पार्वती जांगीड़ सरहद पर तैनात फौजी भाइयों की परेशानियों को नजदीक से जानने हर साल रक्षाबंधन के मौके पर किसी न किसी सीमा पर पहुंचती है। बॉर्डर पर जाकर एक-एक हिस्से में जवानों से मिलती हैं। उनकी समस्याएं नोट करती हैं और फिर बीएसएफ व सेना के अफसरों को अवगत करवाती हैं। इस तरह से वे बहुत से मामलों का समधान करवा चुकी हैं। यही वजह है कि उन्हें सेना सिस्टर कहा जाता है।

25 से शुरू हुई थी वोटिंग: उल्लेखनीय है कि द रिपब्लिक ऑफ वुमेन प्रेसिडेंशियल के लिए 10 से 25 फरवरी के बीच 120 देशों में ऑनलाइन वोटिंग हुई थी। कुल 50 फीसद से ज्यादा वोटिंग भारत और नाइजीरिया से हुई।

22मार्च को केन्द्रीय जलशक्ति मन्त्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जोधपुर की 24 वर्षीय बेटी पार्वती जांगिड़ सुथार को साफा पहनाकर व रिपब्लिक ऑफ वुमेन की तरफ से आधिकारिक प्रेसीडेंसी विनर सर्टिफिकेट, ब्युटी ऑन अर्थ, ब्युटी विथ ब्रेन व पीपल चॉइस ग्लोबल गोल अवॉर्ड देकर सम्मानित किया। ज्ञातव्य है कि सिस्टर ऑफ़ बीएसएफ, सेना सिस्टर से विख्यात पार्वती जांगिड़ सुथार ने रिपब्लिक ऑफ वुमेन कॉउन्सिल की प्रेसिडेंट निर्वाचित होकर दुनियाभर में हिन्दुस्तान का मान बढ़ाया है। सामाजिक सरोकारों और मानवीय कार्यों से जुड़ीं पार्वती जांगिड़ को ब्यूटी ऑन अर्थ टाइटल के साथ ही द रिपब्लिक ऑफ वुमेन प्रेसिडेंटियल चुनाव में पहला स्थान प्राप्त हुआ।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.