समृद्ध और सभ्य लोगों के प्रति असन्तोष और घृणा उभारने का नाम है वामपंथी।
ये समाजवाद की बहकी बातें कर लोगों को दिवास्वप्न दिखाते हैं। हक और शोषित के अधिकारों के नारे लगा पूंजीपतियों से वसूली करते हैं।
फिर इनका एक पैरेलल इकोसिस्टम चलता है जो बाहर से चन्दा टाइप दिखता है भीतर से माफिया।


वामपंथियों की इसी ट्रिक का उपयोग ममता ने किया था।
वामपंथी, समाजवादी, क्षेत्रवादी, जातिवादी, सबके पोषण का एक ही तरीका है- वसूली।
इन्होंने कलकत्ता को बर्बाद कर दिया।
कभी भारत का सबसे बड़ा शहर कलकत्ता धीरे धीरे भूतहा नगर होने जा रहा है।
वामपंथी झाड़ू लगाते हैं, जगह साफ करते हैं, वहां उक्त चार में से किसी एक शक्ति को बसाते हैं और वहाँ से अपने चिर पोषण तथा विखंडन ताकतों के पनपने के वातावरण की निगरानी करते हैं।
अब मुम्बई के पीछे पड़े हैं।
जब आप 100-100 करोड़ वसूली करने लगते हैं, इसका अर्थ है आप गाय को दुह नहीं रहे, उसे जिबह कर रहे हैं।
और ऐसा करते हुए दया भी नहीं आयी?
मुम्बई से हीरा उद्योग गुजरात शिफ्ट हो रहा है और बॉलीवुड का फ़िल्म उद्योग नोएडा आ रहा है।
मुम्बई के इस वैक्यूम को #भाईजान_गैंग रोहिंग्या और बांग्लादेशियों से भर रहा है।
शीघ्र ही मुम्बई में ठाकरे की बजाय ओवैसी की दहाड़ सुनाई दे, बड़ी बात नहीं है।
जो इस गम्भीर विषय को समझ रहे हैं वे जानते हैं कि इस अनपेक्षित नई समस्या के जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ ठठेरे परिवार ही होंगे।

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