|| ये छठ पूजा जरूरी है||
…. धर्म के लिए नहीं, अपितु…..
ये छठ जरूरी है:
हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे है। उन बेटों के लिए जिनके घर आने का बहाना है।
ये छठ जरूरी है:
उस मां के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जातें हैं। उस परिवार के लिए जो टुकड़ों में बंट गया है।
ये छठ जरूरी है:
उस नई पौध के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर होता है। उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है।
ये छठ जरूरी है: उस परंपरा को जिंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है। जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है।
ये छठ जरूरी है:
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है।
ये छठ जरूरी है:
गागर,निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिंदा रखने के लिए।
ये छठ जरूरी है:
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए। ये बताने के लिए कि, इस समाज में उनका भी महत्व है।
ये छठ जरूरी है:
उन सभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं।
ये छठ जरूरी है:
बिहार के योगदान और बिहारियों के सम्मान के लिए। सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाए रखने के लिए। परिवार तथा समाज में एकता एवं एकरूपता के लिए।
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