वामिस्लामी विचारधारा का भारत मे उद्भव और विकास:

कम्यूनिस्ट विचारधारा अब अप्रासंगिक हो चुकी, इसलिए कामरेड अब मार्क्‍सवादी या लेनिनवादी नहीं रहे बल्कि “वामिस्लामी कामरेड” बन चुके। जब वामपंथी विचारधारा और कट्टरपंथी आतंकवाद/ जेहाद का विलय होता तो “वामिस्लामी कामरेड” का जन्म होता, वह पहले से अधिक चतुर और खतरनाक बन जाता है। इस विचारधारा मे “फर्जी सेकुलर” एवं “फर्जी लिबरल” जमात के विचारों का समावेश होता जो इसे और भी अधिक प्रलयंकारी बना देता।

इस विचारधारा की खास बात ये है की वामिस्लामी विचारकों द्वारा इनके कामरेडों की देश विरोधी, समाज विरोधी गतिविधियों को एक सामाजिक आंदोलन/ क्रान्ति का रूप दिया जाता, साजिशें रची जाती, लोगों को उकसाया जाता फिर वसुधैव कुटुंबकम के वाहक निर्दोष हिन्दू समाज के ऊपर दोष मंढ कर अपने कामरेडों को बचा लिया जाता।

वामिस्लामी कामरेडों की फौज

“वामिस्लामी कामरेड” शहरों को जला दिया करते हैं और फिर “अमन के कबूतर” उड़ाते दिखाये जाते हैं, दुनिया भर मे अपनी शरीफाई का ढिंढोरा पीटा जाता! और इस काम पूरा करने के लिए राणा अय्युब जैसे “वामिस्लामी कामरेडों” की बड़ी फौज तैयार खड़ी है, जिन्होने राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रीय मीडिया के महत्वपूर्ण पदों पर अपना आधिपत्य जमाया हुआ है।

ये कामरेड सभी दंगाइयों को देश हो या विदेश सभी जगह मासूम साबित कर देंगे। वामिस्लामी कामरेडों मे कुछ खास नाम शरजील इमाम, सफूरा जरगर, खालिद सैफी, उमर खालिद, ताहिर हुसैन, शेहला रशीद, कन्हैया कुमार इत्यादि बड़े बड़े अखबारों की सुर्खियां बटोर चुके हैं, सभी के ऊपर देशद्रोह, दंगे उकसाने, देश विरोधी साजिश जैसे अपराधों के मे संलिप्त होने के प्रमाण मिल चुके तथा न्यायपालिका मे केस भी चल रहे हैं।

संक्षेप मे वामपंथी दुर्बुद्धिजीवियों एवं चरमपंथी इस्लामिक आतंकवादियों का गठबंधन ही वामिस्लाम कहलाता है। यहाँ ये बात हम साफ कर देना चाहते हैं की कम्यूनिस्ट, लिबरल, फर्जी सेकुलर इन सभी को हम वामिस्लामी कामरेड की श्रेणी मे रखते हैं, सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। वर्ष 2014 के बाद से आपने कहीं सुना की भारत मे कहीं आतंकवादी हमला हुआ? कारण है अब आतंकवादी को पहले की तरह कसाब को बिरयानी नहीं खिलाई जाती बल्कि सीधे दोज़ख पहुंचा दिया जाता हमारी सेना द्वारा। इसी कारण अब आतंकवाद का स्वरूप बदला, वामपंथियों के शातिर दिमाग जब आतंकवादियों से मिल गया तो कुछ नए तरीके ईज़ाद हुए जैसे:

  • आंदोलन के नाम पर हिंसा, जैसे दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगे
  • बौद्धिक आतंकवाद का प्रादुर्भाव, जैसे जेएनयू, जामिया इत्यादि से निकले टुकड़े गैंग
  • धरना/ प्रदर्शन के नाम पर देशविरोधी साजिशें, जैसे शाहीन बाग
  • सुनियोजित मोब लिंचिंग, जैसे पालघर के संतों की तथाकथित भीड़ ने हत्या कर दी।
  • आरडीएक्स/ ए के 47 की जगह अब पत्थरबाजी, देसी गुलेल, लाठी या तलवारों ने ले ली
  • फिल्में, वेब सीरीज, सोशल मीडिया, व्हाट्स सभी जगहों परसनातन विरोधी दुष्प्रचार

भेड़ की खाल ओढ़े भेड़िये अब जनता के सामने आ चुके! आतंकवाद ने “आंदोलन” का जामा पहन लिया है, तो आतंकवादियों ने “आंदोलनकारियों का, जो पहले से भी अधिक सुनियोजित हैं, घातक हैं! क्यूंकी अब ये जो कुछ भी कर रहे उसके पीछे वामपंथी विचारकों का दिमाग है, सत्ता लोलुप विपक्ष का साथ है, एवं बॉलीवुड के चरसी, लिबरल, फर्जी सेकुलरों का एक गिरोह इनकी मार्केटिंग/ पी आर अजेंसी का काम करता।

प्रदर्शन के नाम पर देशविरोधी साजिश:

शाहीन बाग हो या जामिया जेएनयू के तथाकथित “आंदोलन” और कथित “आंदोलनकारी”, इन सभी जगहों पर हुआ क्या? कोई शरजील हमारे देश के उत्तर पूर्वी हिस्सों को अलग करने की बात करता रहा या कोई “हिन्दुत्व” विरोधी बैनर लिए घूम रहा। जामिया का शाहरुख गोलियां चलाता तो जेएनयू के कथित आंदोलनकारी हिंसा करते। दिल्ली समेत कई शहरों मे दंगे करवा दिए, लेकिन एक बूढ़ी औरत को प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट मे शामिल कर हिन्दू एवं राष्ट्र विरोधी हिंसा को एक “आंदोलन” का जामा पहना दिया गया

बौद्धिक आतंकवाद:

कट्टर आतंकवादी विचारधारा की बौद्धिक आतंकवाद का जन्म हुआ जो आतंकवादियों को निर्दोष सिद्ध करने का प्रयास करता, हिंसात्मक हमलों को एक आन्दोलन बताता एवं अपने देशविरोधी विचारो से युवा पीढ़ी को भ्रमित करता

हिंसक आंदोलन/ आतंकी हमले:

पहले आतंकी क्या तो बम फोड़ जाते या खुद फट जाते थे, अब आपको कभी शहर जलाने की या शहर मे दंगों की खबरें अधिक दिखाई पड़ रही। दिल्ली, बंगलोर ये सभी ज्वलंत उदाहरण हैं इन लोगों की सुनियोजित साज़िशों का

मोब लिंचिंग:

देश मे पालघर संतों की हत्याकांड जैसी खबरें आने लगीं, झुंड बना कर हिन्दू संतों को निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी जाती और पुलिस मूकदर्शक बनी रहती। देश मे इस प्रकार की और भी घटनाएँ हुई पर कुछ मीडिया मे आयीं कुछ बिलकुल ही नहीं।

पत्थरबाजी, घरेलू हथियारों का प्रयोग:

आतंकवादियों ने अब बम धमाके या ए के 47 जैसे हथियारों को छोड़ पत्थरों, लाठी, बल्लम, पेट्रोल जैसे आसानी उपलब्ध चीजों को हथियार बना लिया। आम आदमी पार्टी का आतंकी नेता ताहिर हुसैन के घर की छत से मिले पत्थर, गुलेल और तमाम हथियार इस बात के प्रमाण है।

सनातन विरोधी दुष्प्रचार:

आप लोगों ने महसूस किया होगा, व्हाट्स अप, सोशल मीडिया की टिप्पणियाँ हो या फिल्मों, वेब सीरीज इत्यादि। इन सभी देसी/ विदेशी डिजिटल मीडिया के माध्यम से अचानक से सनातन धर्म का अपमान करते हुए कई लेख, फिल्में, सीरीज आ गईं।

उपरोक्त कुछ उदाहरण जिनके कारण हम कहते की वामिस्लाम ही आतंकवाद का नया रूप है, संविधान द्वारा प्रदत्त विसेषाधिकारों का दुरुपयोग कर देश भर मे हिंसक आंदोलन किए गए तथा देश और समाज मे अस्थिरता का वातवर्ण तैयार किया गया। हमें जरूरत एक सामाजिक चेतना की, जहां आतंकवाद के इस नए चेहरे के हर रूप को हमें उजागर करना है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस खतरे से बचाना है।

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