जब भी इस देश में किसान ,खेती , कृषि उद्योग , आधुनिक कृषि तकनीक , उन्नत संसाधन , रिकॉर्ड तोड़ उपज ऐसे किसी भी बिंदु या विषय पर कोई चर्चा विमर्श आदि होता था तो सबसे पहले पंजाब और हरियाणा के मैदानीं उपजाऊ भागों के कृषि क्षेत्र का नाम आता था।

देश में कृषि और कृषि उत्पादों के दम पर पंजाब के किसानों ने , न सिर्फ देश के कृषि उद्योग ,बल्कि अमेरिका कनाडा तक बसे अपने प्रदेश वासियों के कारण ,कृषि में आई हर क्रान्ति को सबसे पहले अपनाया और उससे अपनी खेती बाड़ी के साथ खुद को भी सुविधा संपन्न किया। पंजाब के किसी भी किसान के पास जाकर ट्रेक्टर , आधुनिक कृषि यंत्र , सिंचाई के साधन , समुन्नत बीज और खाद आदि की उपलब्धता देखी जा सकती है।

हालाँकि इससे इतर इस विषय पर दो अहम् बातें ये भी हैं कि , कृषि से लगातार मुनाफे की बढ़ती चाहत , पशुधन के प्रति उदासीनता और रासयनिक उर्वरकों के अधिकाधिक उपयोग ने जहां पंजाब की जमीनों की उर्वरा शक्ति को कम करना शुरू कर दिया वहीँ स्थानीय किसानों को कैंसर ,चार्म रोग जैसी कई घातक बीमारियों से ग्रस्त भी कर दिया।

दूसरी बात ये कि , वर्षों से बिहार और उत्तर प्रदेश के गरीब भूमिहीन किसान जो हर साल बहुत बड़ी संख्या में इन प्रदेशों में कृषि जनित रोजगार के लिए जाते थे उन्हें न सिर्फ वहाँ जबरन अफीम /नशा आदि का सेवन करवा कर अत्यधिक काम कराए जाने की घटनाएं सामने आती रहीं बल्कि आज तक वे सब के सब किसान से मजदूर ही बन कर रह गए।

अब वर्तमान के इस तथाकथित अराजक प्रदर्शन और उपद्रव की , जिसके आड़ में तमाम देश और सरकार विरोधी केंचुली में छिपे साँप की तरह किसान का चोला धारण किये देश भर के अधिकाँश किसानों की छवि और श्रम दोनों को धूमिल करने पर आमादा है।

बिहार ,उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र , तमिलनाडु आदि तमाम राज्यों के किसानों को इन सबसे कोई सरोकार या सरकार से कोई शिकायत नहीं है , क्यूँ ?

चलिए ये भी जान लेते हैं। सिर्फ पिछले तीन महीने में ही , पंजाब से देश भर में गेहूँ सरसों और अन्य दलहन उत्पादों के ठेकेदार (ध्यान रहे वहां के गरीब किसान नहीं ) नए कृषि कानूनों और न्यूनतम क्रय मूल्य की मनमानी ख़त्म हो जाने के कारण अब तक कुल 11 .74 करोड़ रुपए का झटका खा चुके हैं और इस अनुमान से स्वयं ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर मौसम में सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को सरकार द्वारा दबोच लिए जाने के कारण इन सबकी मनमानी और ठेकेदारी खत्म हो गई है।

किसानों , कृषि उत्पादों और फसल को बेतहाशा दामों पर मंडियों और शहर के करोड़ों लोगों तक पहुँचा कर असीमित मुनाफ़ा पैसा कमा कर पंजाब के इन परंपरागत किसानों की नई पीढ़ी शायद इन्हीं बेतहाशा पैसों के कारण , नशे और अन्य तरह के ऐसे अपराधों की तरफ मुड़ गए हैं।

असल में पंजाब को अपनी फसल से अधिक तो अपनी अगली नस्ल की चिंता करने की ज्यादा जरूरत है ताकि भविष्य में फिर कोई सिरफिरा बॉलीवुडिया पंजाब में उड़ता तीर लगा कर उसे उड़ता पंजाब न बना दे।

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