फ्रांस में जिस तरह से इस्लामिक आतंकवादी ने शिक्षक का सिर कलम किया उसके बाद से ही पूरा फ्रांस कट्टरवाद के जहर के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है। फ्रांस के हर शहर, हर गली, हर सड़क, हर नुक्कड़ पर कट्टरवाद के खिलाफ लोग बुलंद आवाज में बैनर तख्ती लेकर विरोध कर रहे हैं। पूरा फ्रांस एक आवाज में कह रहा है कि वह कट्टरवाद के आगे झुकेगा नहीं और ना ही डरेगा। जब जनता की आवाज इतनी बुलंद है तो सरकार को कठोर रुख अख्तियार करना ही पड़ रहा है, फ्रांस में बड़े पैमाने पर इस्लामिक आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए कार्यवाही की जा रही हैं।


फ्रांस में अब तक 51 इस्लामिक संगठनों को बैन किया जा चुका है ,इसके अलावा 213 लोग चिन्हित किए गए हैं जिन्हें फ्रांस देश से बाहर निकाला जाएगा इन सभी लोगों पर इस्लामिक कट्टरवाद को आगे बढ़ाने के आरोप हैं। बड़े पैमाने पर उन एनजीओ को प्रतिबंधित किया जा रहा है जो इस्लामिक संगठनों से जुड़े हुए हैं पूरे फ्रांस में तमाम मदरसों और मस्जिदों में सघन कार्रवाई की जा रही है। 


अब बड़ा सवाल उठता है कि फ्रांस की जनता जाग उठी है मगर पिछले 50 साल से इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित भारत देश की जनता कब जागेगी। एक शिक्षक के सिर कलम से पूरा फ्रांस आज सड़क पर है मगर भारत में लाखों कश्मीरी पंडित, केरल बंगाल में हजारों हिंदुओं के कत्ल , पालघर में साधु हत्या ,दिल्ली शहर में अंकित शर्मा ,ध्रुव त्यागी, राहुल की हत्या के बावजूद देश सोया हुआ है। सोशल मीडिया पर बेशक जनता जागरूक होकर समय-समय पर अपनी आवाज बुलंद करती रहती है, मगर कहते हैं उस देश में लोकतंत्र मर जाता है जिस देश की सड़कें खाली रहती हैं ।  पिछले 70 साल से हिंदुओं की चुप्पी ने ही देश में लिबरल वामपंथ की आड में इस्लामिक और इसाई आतंकवादियों को वह मौका दिया है जिससे सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। फ्रांस के चैप्टर से सबक और सीख यह मिलती है कि जब तक एक राष्ट्र के रूप में आप अपनी आवाज बुलंद नहीं करेंगे तब तक सरकार कुछ नहीं करेगी.. जागना आपको होगा ..आगे बढ़ना आपको होगा आवाज बुलंद आपको करनी होगी।

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