गाँधी बाबा ने देश की आजादी और अपने चरखे वाली लड़ाई की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से ही शुरू की थी। जहाँ सूट बूट पहने मोहनदास करमचंद गाँधी को कुछ अंग्रेजों ने रेल के डिब्बे के बाहर कर दिया और वे यकायक ही अपमानित महसूस कर भारत की आजादी की लड़ाई में मॉनिटरी करने अपने देश वापस आ गए। फिर जो हुआ वो तो सबके सामने है ही। लेकिन आजादी मिलते मिलते नेहरू जी के खानदान ने गाँधी जी और उनके वशंजों को रिप्लेस करके अपना गांधीवाद स्थापित किया और सरकार ने सिर्फ भारत के सिक्कों नोटों तक गाँधी जी को सीमित कर दिया।
अब इतने सालों बाद कोई खबर मिली भी तो ये कि गांधी जी की परपोती लता रामगोबिन जी ने गाँधी बाबा की सारी मिटटी पलीद करते हुए दक्षिण अफ्रीका में अपनी धोखाधड़ी के लिए पूरे सात वर्ष कैद ए बमुशक़्क़त की सज़ा पाई है। इधर राहुल बाबा , सोनिया और प्रियंका पहले ही ऐसे ही किसी धोखाधड़ी के मुक़दमे में जमानत पर बाहर चल रहे हैं। गजबे है।
असल में गांधी बाबा की परपोती जो खुद को “पर्यावरण ,सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में खुद को पेश करती थीं ने वाहन एक व्यवसायी से 3 .3 करोड़ रूपए की जालसाजी कर ली जिसेक लिए उन्हें दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने सात साल की सजा दी है।
अब बताइये भला कि जब गाँधी खानदान के ये चश्मो चराग खुद गाँधी और उनके साथ इस देश के मान सम्मान को बट्टा लगाने को तैयार बैठे हैं तो ऐसे में फिर यदि अभी और आने वाली नस्ल गाँधी के जीवन , नेहरू के चरित्र , इंदिरा के अहम् और राजीव की अपरिपक्वता के साथ साथ वर्तमान त्रयी -सोनिया ,राहुल प्रियंका -की नीयत का विश्लेषण न करें , सवाल न उठाएं तो क्या ही करें ??
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.