जी हां आप इस शीर्षक को पढ़ कर सोच रहे होंगे आखिर मैं क्यूं कह रहा हूं कि महात्मा गांधी का हत्यारा नाथूराम गोडसे कांग्रेस का भक्त था या संघ का ।
आज तक चाटुकार मीडिया , बाम पंथी इतिहासकार और अंग्रेजो की बनाई हुई कांग्रेस पार्टी बार बार गोडसे को गांधी का हत्यारा बता कर संघ और भाजपा को निशाना बनाती रही है।
यह कांग्रेस और बाम पंथी लोगों का एक इको सिस्टम जो पिछले 70 वर्षों से फल फूल रहा था जहां बड़े बड़े चाटुकारों को अवॉर्ड,सम्मान व पद देकर तथाकथित गांधी परिवार और कांग्रेस की महिमामंडन और राष्ट्र वादियों के खिलाफ साजिश के लिए कांग्रेस बाम पंथी ने लगाया था।
उन मुघलों का जिक्र नहीं करते जिसने गुरु तेग बहादुर को काट दिया था और शाहेबजादो के साथ क्या किया था।
आज का विषय यह है कि क्या नाथूराम गोडसे ने किसी और वजह से गांधी जी की हत्या की और जान बूझ कर हिन्दुत्व , पाकिस्तान , आजादी , बंटवारे जैसे शब्द का प्रयोग किया ताकि समाज में विवाद की स्थिति बनी रहे।
देश का विभाजन 1947 में हुआ था और पाकिस्तान से लाशों के ढेर उसी वक्त आ रहे थे फिर नाथूराम गोडसे ने 1947 में ही क्यूं हत्या नहीं की अगर उनको सिक्खों और हिंदुओं की मौत का इतना ही दुख था । क्या वजह है की 1948 में इस घटना को अंजाम दिया गया।

गांधी जी ने घोषणा की थी 31 जनवरी 1948 को सभा में कांग्रेस पार्टी को भंग कर दिया जाएगा फिर गोडसे अगर कांग्रेस से नफरत करते थे तो ऐसा क्यूं नहीं होने दिया आखिर एक दिन पूर्व 30 जनवरी को क्यूं उनकी हत्या कर दी।
क्या गोडसे नहीं चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी खत्म हो। क्या गोडसे नेहरू जी के भक्त थे।
बंटवारे के तो असली कारण जिन्ना और नेहरू जी का सत्ता प्रेम था अगर बंटवारे से इतने दुखी थे तो फिर नाथूराम गोडसे ने नेहरू जी का प्रतिकार क्यों नहीं किया।
क्या नाथूराम गोडसे अपने साथ साथ कई राज छुपाए हुए तो नहीं फांसी चढ़ गए।
यह ऐसे सवाल हैं जिसको अगर गंभीरता से सोचा जाए तो यही प्रतीत होता है कि नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या की और कांग्रेस पार्टी का वजूद बच गया। इसलिए गांधी जी की हत्या से अगर किसी को फायदा हुआ तो वह कांग्रेस पार्टी को।
इस मुद्दे को एक बार फिर से उठाने की जरूरत है और इसपर एक निर्णायक बहश होनी चाहिए।

एक देशभक्त लेखक।
अमित कुमार

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