हर की पौड़ी पर ‘चोली के पीछे क्या है’ गाना बजाने वाले शराबी रणबांकुरों से पूछा जाना चाहिए कि तेरी अक्ल में क्या है? गंगा सनातन धर्म की मां है तो ऐसे में इन अल्पबुद्धि बुलबुलों से पूछा जाना चाहिए कि क्या अपनी मां के सामने भी ये कच्छा पहनकर चोली के पीछे क्या है गाने में डांस कर सकते हैं? बीते कुछ दिनों से हरिद्वार और तमाम देवस्थानों से शराब हुक्का और अश्लील नाच की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं।

 
गंगा की सभ्यता वाले इस देश की पैदाइशों को इस बात की समझ होनी चाहिए कि पर्यटक स्थल शिमला, मसूरी, नैनीताल और हरिद्वार, देवप्रयाग, केदारनाथ में बहुत बड़ा फर्क है… कहां बियर की कैन खुलनी है और कहां ट्रॉली वाला डीजे बजना है.. इसकी समझ इनमें स्वयं होनी चाहिए और यदि यह समझ इनमें स्वयं नहीं है तो यहां पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि इन बिगड़ैल नागरिकों की नाक को कसकर दबाया जाए ताकि इनकी बुद्धि में ऑक्सीजन ज्यादा से ज्यादा भर सके।

बीते कुछ सालों से जब से जमीनें बेच कर शहर में रहने वाले इन लोगों के पास पैसा आया है तब से अपनी चार पहिया गाड़ी में बीयर की कैन और प्लास्टिक की बोतल  भरकर ये पहाड़ों को गंदा करने पहुंच जाते हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि गंगा के आंचल में पनपे इस देश की संस्कृति पर यह लोग बदनुमा दाग हैं जो घुन की तरह हमारी सभ्यता और संस्कृति को अंदर ही अंदर खाए चले जा रहे हैं।

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