उत्तराखंड राज्य में जो हो रहा है, उससे हैरानी नहीं है.. मुस्लिम इलाकों में जिस तरह से बसावट के आधार पर नाकीबंदी की जाती है इसकी रूपरेखा देखकर ही तय हो जाता है कि यह खास कम्युनिटी के लोगों की छावनी बन जाती है।

मुस्लिम एरिया पहले आम लोगों के लिए No Go Zone बनते हैं, फिर पुलिस के लिए..अगर यकीन नहीं है तो हरियाणा के मेवात इलाके को देखिए..10 साल से डबल इंजन सरकार है…लेकिन पुलिस मेवात जाने से डरती है…उत्तराखंड के भी कई इलाके उसी राह पर हैं..बनभूलपुरा में कल दिख गया..हरिद्वार में भी कुछ इलाके ऐसे ही हैं..आप देवभूमि देवभूमि कहकर खुश होते रहिए..दानवों का तांडव जारी रहेगा..सोचिए कोर्ट के ऑर्डर पर और अवैध जमीन पर बनी इमारत को गिराने पर ये हाल है..

क्या सरकार और उससे जुड़ी हुई तमाम एजेंसियां सो रही थी ? कि UCC के विरोध में ऐसा प्रतिकार हो सकता है….? यही वजह है कि आज पुलिस की ऐसी तस्वीरें हुई हैं..अगर सरकार को इस तरह खुलेआम मिडिल फिंगर दिखाई गई है तो इसका मतलब यही है कि ऐसा करने वालों को सरकार की नपुंसकता पर पूरा यकीन होगा..

केंद्र सरकार हो या फिर उत्तराखंड सरकार दोनों को हल्द्वानी के इस हादसे के बाद दंगाइयों को कड़ा सबक सिखाना चाहिए ताकि एक कड़क मैसेज देश की उसे जनता तक जा सके जो कमल के निशान वाली सरकारों को बेहतर कानून व्यवस्था के मद्देनजर चुनती है।

 

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