हमने पिछले लेख के बताया की विपक्ष के तमाम हंगामे और सदन की कार्यवाही के बहिष्कार के बावजूद बहुप्रतीक्षित नए तीन नए श्रम विधेयकों (Labour Reform Bills) को लोक सभा में पारित कर दिया गया। विपक्ष किस प्रकार अफवाहों का बाजार गरम कर लोगों को भ्रमित करने की भूमिका बना रहा था।

यहाँ एक बार फिर याद दिलाना चाहते की पिछले दिनों में प्रवासी मजदूरों को लेकर काफी राजनीति हुई है, अफवाहों के बाजार ने एक तरह से सोशल मीडिया पर कब्जा कर लिया था, इस नए श्रम सुधार बिल के आने से उन सभी लोगों का मुंह बंद हो गया जो अफवाह फैला रहे थे। इसी तरह कांग्रेस और वामपंथी दलों की ट्रेड यूनियन यानि मजदूर संगठने इस बिल का विरोध कर रही थी क्यूंकी उन्हें भ्रामक तथ्य नताए गए थे।

प्रियंका वाड्रा (गांधी) ने तो यहाँ तक कह दिया था:

“वाह री सरकार कर दिया आसान कर दिया मजदूरों पर अत्याचार”

इस लेख मे आप जानेंगे वो खास बातें जिसके कारण इस नए श्रम बिल हम एक ऐतिहासिक बिल कह रहे हैं। ये सही मायने मे सबका साथ सभी का विकास है जहां असंगठित एवं संगठित श्रमिक तथा उद्यमियों सभी की असुविधाओं का समाधान किया गया है। आजादी के 70 वर्षों के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं जो नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

भारतीय मजदूर संगठन (बीएमएस) के प्रवताओं के अनुसार नए श्रम सुधार विधेयक से पहले सिर्फ सात प्रतिशत कर्मचारी ही न्यूनतम मजदूरी के प्रावधानों के दायरे में आते थे। लेकिन इस कानून के बाद असंगठित क्षेत्र के लगभग 40 करोड़ से ज्यादा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी समेत अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा।

एक आर्थिक सर्वे के अनुसार देश के एक तिहाई मजदूर न्यूनतम मजदूरी कानून के अन्तर्गत नहीं आते है, इसमें ज़्यादातर असंगठित क्षेत्र के मजदूर शामिल हैं जिनकी संख्या देश मे लगभग 40 करोड़ आँकी गई है। इस नए विधेयक से बोझा ढोने वाले, ढाबों पर काम करने वाले, रिक्शा चलाने वालों सभी मजदूरों को फायदा होगा। इसके अलावा नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी, जैसे सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। उनके वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा। साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है। वहीं उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं।

वर्तमान के जटिल श्रम कानूनों को सरल बनाने के लिए नया श्रम सुधार विधेयक लाया गया है। नए श्रम सुधार कानून मे चार पुराने श्रम कानूनों- पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट (1936), मिनिमम वेजेस एक्ट (1948), पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट (1965) और समान पारिश्रमिक एक्ट (1976) को शामिल किया गया है। यहाँ ये जानना आवश्यक है की दुनिया के कई देश भारत के वर्तमान श्रम कानून की जटिलता को निवेश में बाधा मानते हैं, लेकिन नए कानून से अब भारत मे उद्योग लगाने मे कोई असुविधा नहीं होगी।

विदेशी निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इन्हीं कारणों से नए श्रम विधेयक को एक ऐतिहासिक विधेयक कहा जा रहा जिसमे एक तरफ श्रमिकों की सुरक्षा एवं सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया वहीं उद्यमियों के लिए भी सिंगल विंडो जैसे नए प्रावधान आए जिसके कारण उन्हें नए उद्योग लगाने एवं सुचारु रूप से चलाने सहाता मिलेगी।

नए श्रम सुधार विधेयक (Labour Reform Bills) के मुख्य बिन्दु:

  1. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा फंड का निर्माण किया जाएगा
  2. सभी अस्थाई और कांट्रैक्ट कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे मे लाया जाएगा यहाँ तक की ओला उबर के ड्राईवर भी
  3. री-स्केलिंग फंड बनाया जाएगा जिसमे कर्मचारियों की छंटनी होने की स्थिति मे वैकल्पिक हुनर की ट्रेनिंग दी जाएगी
  4. सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा चाहे वो किसी भी क्षेत्र के हों, मजदूरों का शोषण करने वालों पर लगाम लगाई गई
  5. सभी श्रमिकों के वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा, यानि हर महीने की निर्धारित तारीख को उन्हें अपने आप पैसे मिल जाएँ, चक्कर नहीं लगाने पड़ें
  6. देश के सभी जिलों में ईएसआईसी की सुविधा होगी, एवं खतरनाक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को अनिवार्य रूप से ईएसआईसी से जोड़ा जाएगा
  7. साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप अनिवार्य किया गया है, सभी स्तर की कंपनियाँ को इसके दायरे मे लाया गया
  8. सभी कर्मचारियों को सालाना ग्रेच्युटी की सुविधा मिलेगी चाहे वो कांट्रैक्ट पर ही क्यूँ ना हो, पहले ऐसा नहीं था
  9. अब किसी भी कर्मचारी को कंपनी मे काम करने के लिए 5 वर्ष काम करने की जरूरत नहीं, ये सुविधा पहले वर्ष से उपलब्ध है
  10. प्रवासी मजदूरों का डाटा रखने के लिए लेबर ब्यूरो बनाया जाएगा जिसके तहत सभी प्रवासी श्रमिकों की विस्तृत जानकारी होगा
  11. सभी राज्यों व विभागों से प्रवासी मजदूरों का डाटा लिया जाएगा ताकि उन्हें ओएसएच कोड का लाभ मिल पाए
  12. नए कानून के तहत सभी प्रवासी श्रमिकों को साल में एक बार अपने मूल निवास पर जाने के लिए सरकार की तरफ से सुविधा मुहैया कराई जाएगी
  13. अस्थाई कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों की तरह सारी सुविधाएं मिलेंगी, चाहे एक साल के कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी क्यूँ न हो
  14. घर से कार्य पर आने व जाने के दौरान दुर्घटना होने पर कर्मचारी कंपनसेशन का हकदार होगा
  15. संगठित हो या असंगठित श्रमिक, अब अपने अपने परिवार के वयोवृद्ध सदस्यों को यानि दादा-दादीजी को भी कर्मचारी के आश्रितों में जोड़ सकेगा
  16. महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध उनसे रात की पाली मे काम नहीं करवाया जा सकता, उनकी सहमति अनिवार्य है

70 वर्षों के इतिहास मे कभी भी मजदूरों के लिए इतने सरल और प्रभावी कानून नहीं बनाए गए, असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब 40 करोड़ श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा देने वाले श्रम सुधार विधेयकों यानि Labour Reform Bills अपमे आप मे एक ऐतिहासिक कदम है और हम आशा करते हैं की भविष्य मे ये नीतियाँ सभी श्रेणी के श्रमिकों, कर्मचारियों के लिए सही तरीके से लागू भी की जाएंगी। यहाँ ये भी ध्यान देने वाली बात है कि लगभग सभी ट्रेड यूनियन एवं मजदूर संगठनों पर वामपंथियों और कांग्रेस द्वारा संचालित संगठनों का वर्चस्व है इसलिए भविष्य मे हो सकता है सरकार को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़े, क्यूंकी विपक्षी पार्टियां अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए कोई भी हथकंडा अपना सकती है

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.