धर्मो रक्षति रक्षितः अर्थात तुम धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। भगवान कृष्ण का ये सूत्र वाक्य राजा राम जी पर पूर्णतः लागू होता है। अफगानिस्तान की पहाड़ियों के बीच बसे ग़जनी में ये सनातन सेवक अकेला ही करोड़ों हिंदुओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। दरअसल अफ़ग़ानिस्तान में IS आतंकवादियों की बढ़ती धमकियों के चलते बीते कई दिनों में सैकड़ों हिंदू-सिख परिवारों ने पलायन किया है। राजाराम की पत्नी और 4 संतान भी भारत लौट आए हैं, मगर राजाराम ने मन्दिर की सेवा के वास्ते ग़ज़नी में रुकना ही मुनासिब समझा।


ग़ज़नी में बसे आखिरी हिंदू राजाराम अकेले हिंदू हैं जो वहां मौजूद मंदिर की सेवा के लिए रुक गए हैं। 25 मार्च को IS आतंकवादियों ने गुरुद्वारे में हमला कर 25 सिखों को मार दिया था जिसके बाद से अबतक अफगानिस्तान से 250 से ज्यादा हिंदू-सिख परिवार वापिस भारत आ चुके हैं। किसी समय में अफगानिस्तान में 80 हजार से ज्यादा हिंदू-सिख परिवार रहते थे जो वहां मसाले, कपड़े, हर्बल दवाई का व्यापार करते थे मगर कट्टरपंथ की तलवार ने इन सौहार्द प्रेमियों को अफगानिस्तान छोड़ने को मजबूर कर दिया और अब हालात यहां तक आ गए हैं कि ग़ज़नी में राजाराम अकेले हिंदू बचे हैं। 


किसी समय में जब महाराज रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान तक जीत हासिल की थी, तभी से अफगानिस्तान में हजारों सिख-हिंदू परिवार शांति से रहते आ रहे थे। जमाने भर पहले अफगानिस्तान में सनातन धर्म की व्यापकता थी, मगर धीरे धीरे इस्लाम के क्रूर हमलों ने वहां से यज्ञ की आहुति को बन्द करवा कलमा पढ़वाना शुरू कर दिया। हैरानी की बात है जो हिंदू-सिख पराए देशों में सताए जा रहे हैं उन्हीं की वापसी को मुकम्मल करने के लिए भारत सरकार ने CAA कानून बनाया मगर भारत की राजनीतिक पार्टियों ने इस कानून पर वोट बैंक की रोटियां सेक इसका विरोध किया।

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