साल आज से तकरीबन सौ साल पहले वर्ष , केरल के मोपला में ,हिन्दुस्तान में रह रहे मुसलमानों ने , स्थानीय हिन्दुओं का कत्लेआम और नरसंहार किया था | हजारों हिन्दू परिवारों को ,उनका घर बार लूट कर ,उन्हें अपने घर जमीन सबसे बेदखल कर दिया गया था | और सोचिये कि ऐसा क्यों किया गया था | सिर्फ इसलिए क्यूँकि प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों की मदद से वहाँ के खलीफा मोहम्मद को गद्दी से उतार कर मुस्तफा कमाल पाशा ने सरकार बना ली जो मुस्लिम कट्टरवाद का समर्थन नहीं करती थी |

तुर्की जो आज 100 साल बाद फिर एक बार मुस्लिम कट्टरपंथ का नया खलीफा बन कर मुस्लिम देशों का अगुआ बना हुआ है और जहां हाल ही में अभिनेता आमिर खान वहाँ के राजकीय मेहमान बन कर गए थे | उस तुर्की के खलीफा को गद्दी से उतारा वहीँ के एक मुस्तफा ने ,मदद की अंग्रेजों ने और क़त्ल कर दिए गई हिन्दू ?

वजह सिर्फ इतनी की केरल के उस क्षेत्र मोपला में हिन्दू सुखी संपन्न जमींदार थे और मुस्लिम उनके खेतों में काम करने वाले मज़दूर |हिन्दू सहिष्णु और अहिंसक थे हमेशा की तरह वो भी इतने कि , गाँधी जी ने , हज़ारों हिन्दुओं के नरसंहार होने के बावजूद हिन्दुओं को वो सब भूल जाने को कहा |

अब इस बात को आसानी से समझें तो , तुर्की में अंग्रेजों द्वारा बेदखल किये गए खलीफा को दोबारा स्थापित करने के लिए भारत में खिलाफत आंदोलन की नींव रखी गई , गाँधी जी अपने चरखे को चलाते हुए और नए नए प्रयोगों को आजमाते हुए ठीक उसी समय असहयोग आंदोलन की बाँसुरी फ़ूँक रहे थे

| भारत के खलीफाओं ने महात्मा जी से अपने असहयोग को खिलाफत में मिला कर डेडली कॉम्बो बनाने को जैसे ही कहा ,गाँधी जी दन्न से न सिर्फ मान गए बल्कि खुद भी इस खिलाफत समिति के सदस्य बन गए |

इस नए प्रयोग से हैरान होते हुए जवाहर लाल नेहरू से लेकर जिन्ना तक ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और इसे गांधी जी का बेतुका प्रयोग बताया | उधर जैसे ही खिलाफत आंदोलन असफल हुआ , खीजे हुए मुसलमानों ने , जिनका जोर अंग्रेजों में जब नहीं चला तो उन्होंने हिन्दुओं को अंग्रेजों के साथ बता कर उनकी ह्त्या ,लूट ,दंगे ,बलात्कार और इंसानियत के सबसे क्रूरतम नरसंहार को अंजाम दिया |

गाँधी जी पर महात्मा का चोला ओढ़ने का वो फितूर चढ़ा हुआ था कि ,वे किसी भी कीमत पर मुसलमानों का विरोध करने को तैयार नहीं थे चाहे इसके लिए हिन्दुओं को कितनी ही बड़ी कीमत चुकानी पड़े | मुसलमान जो 1905 के बंगाल विभाजन के बाद से हिन्दुओं से नफरत करने लगे थे उसको हवा देकर उन्हें हैवानियत के स्तर तक पहुंचा दिया और फिर उन्होंने मोपला में हिन्दुस्तान में अपने पहले जेहाद को अंजाम दिया |

गाँधी इतने ज्यादा पक्षपाती हो चुके थे की इस नरसंहार के विरोध और निंदा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा लाए गए प्रस्ताव को पेश ही नहीं होने दिया |

आज ही के दिन यानि 25 सितम्बर को अंजाम दिए गए इस नरसंहार के बारे में , किसी भी पाठ्यपुस्तक ,किसी भी कोर्स में , सिर्फ उतना ही और ही बच्चों को सालों से पढ़ाया समझाया जाता रहा है जितना गांधी जी की कांग्रेसी सोच चाहती थी |


इत्तेफाक देखिये कि , 100 साल पहले हिन्दुओं के नरसंहार का गढ़ बना मोपला क्षेत्र वही आज के वायनाड का क्षेत्र है जहां से कांग्रेस के तुर्क युवा मुग़ल राहुल गाँधी सांसद हैं ,और हिन्दुओं के कत्लेआम से लेकर आज हिन्दुओं के प्रति नफरत तक की गाँधीगिरी के सच्चे वारिस भी |

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