हाथरस मामले पर पूरे प्रदेश को और उससे अधिक योगी सरकार को बदनाम करने और प्रशासन , शासन को उकसा दंगे फसाद करने के षड्यंत्र को बेनकाब करने में लगी जाँच एजेसियों ने अब एक एक करके सारे राज़ फाश करने शुरू कर दिए हैं।
आज दिल्ली और उसकी सीमा पर किसानों के नाम फिर से इकट्ठा हुए सारे देश विरोधी और भाजपा उससे भी अधिक मोदी सरकार से द्वेष और पूर्वाग्रह रखने वाले तमाम गिद्ध उसी तरह से एकत्र हो गए हैं जैसे वे हाथरस के मामले पर , पहले से गिरे होने के बावजूद भी सड़क पर गिर गिर योगी सरकार को गिराने/अस्थिर करने के प्रयासों में लगे थे।
हाथरस मामले में सबसे गैर जिम्मेदार रवैया कुछ समाचार चैनलों और उनके तथाकथित पत्रकारों का रहा था , मगर इन सबके बीच कुछ षड्यंत्रकारी कहीं पीड़िता की भाभी बन कर बाईट दे रहे थे तो कई नकली पत्रकार बन कर उल जलूल रिपोर्टिंग और यहां तक की पीड़ित परिवार के लोगों को उनके मुताबिक बयान देने के लिए प्रलोभन देने में लगे थे।
हाथरस में पत्रकार की पहचान बता कर पुलिस और योगी सरकार के विरूद्ध साजिशन गलत और झूठी रिपोर्टिंग करने वाला सिद्द्की कप्पन नामक व्यक्ति जिस खुद को जिस अख़बार का पत्रकार बता रहा था वो असल में दो वर्ष पहले ही बंद हो चुका था। जांच एजेंसियों ने अपनी तफ्तीश में पाया और अदालत में खुलासा किया कि असल में पत्रकार बन कर ये सब षड्यन्त्र कर रहा सिद्द्की , पीपल्स फ्रंट ऑफ़ इंडिया ,जो लगातार देश विरोधी अपराधों के पीछे मास्टर माईंड की भूमिका निभा रहा है उसके कार्यालय सचिव का काम करता था।
इस अपराध में लिप्त और पुलिस द्वारा गिरफ्तार सिद्द्की की जमानत के लिए कांग्रेस के नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर रखी है जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए ये खुलासे किए हैं। और अभी तो ये जांच शुरू हुई है , आगे आगे देखिये क्या कर कितना काला सच निकल कर सामने आता है।
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