इस देश में छद्म धर्मनिरपेक्षवाद का शाश्वत नारा रहा है -ये देश गंगा जमुनी तहज़ीब वाला देश है। गौर से इन शब्दों को फिर से पढ़िए ऐसे -गंगा ज़ाहिर है हिन्दू और सनातनियों के लिए , जमुनी मुगलों के लिए और व्यवहार आचार संस्कार नहीं ये तहज़ीब है।

अच्छा जी ! और इसी तहज़ीब के लम्बरदार बड़े राजनीतिज्ञ , नेता ,अभिनेता ,शायर , लेखक , से लेकर एक अनपढ़ जाहिल पंचर बनाने वाले तक अपनी इस तथाकथित तहज़ीब की दुहाई सिर्फ तब देते हैं जब कोई मुग़ल अपनी नापाक करतूतों के कारण समाज और देश के सामने नग्न हो जाता है तब ये अपनी जान और असली मंशा छुपाने के लिए गंगा जमुनी तहज़ीब की दुहाई की आड़ में छिप जाते हैं। लेकिन असलियत क्या है वो इन जैसे घटनाएं साबित करती हैं।

दीपावली की रात एक हिन्दू परिवार की महिला और उसके बच्चे पटाखे चलाते हैं , रात दिन अपने ईश वन्दना से जबरन लोगों की शान्ति और सुकून छीनने वाले मुग़ल पडोसी को ये बर्दाश्त नहीं होता और अपने चरित्र और व्यवहार के अनुरूप वो उनकी ह्त्या कर देता है। उफ़्फ़ ! इतनी घृणा ,इतनी नफरत ? किससे ? दीपावली से , पटाखों के शोर से , धुएँ या आवाज़ से ?

नहीं ये द्वेष ,ये घृणा सिर्फ और सिर्फ सनातन के विरुद्ध , हिन्दुओं के , उनके प्रतीकों , आस्थाओं ,देवी देवताओं और यहाँ तक कि उनके त्यौहारों के लिए भी।

हैरानी और दुःख की बात है कि तनिष्क से लेकर विराट कोहली और जाने ऐसे कितने ही नकली चेहरे और मानसिकता वाले बार बार एक षड्यंत्र के तहत हिन्दू मुस्लिम एकता ,भाईचारे की बातें जबरन समाज में ठूसते नज़र आते हैं मगर जब इस तरह कोई बीच सड़क कभी किसी अंकिता को सरे आम क़त्ल कर देता है ,किसी मीना को पटाखा चलाने मात्र के लिए उसकी हत्या कर देता है तब ये सभी अपनी आँखें मूँद लेते हैं।

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