एक फिल्म का एक प्रसिद्द डायलॉग है – जिस देश की आस्तीन में छिपे गद्दार – पहले से ही देश को डसने और देश के गम , मुश्किलों में हँसने वाले मौजूद हों -उसे किसी बाहरी दुश्मन -चीन ,पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं है। और इत्तेफाक से केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से तो ऐसा लग रहा है मानो इस आस्तीन में किसी ने तेज़ाब उड़ेल दिया हो और सारे साँप , बिच्छू बिलबिला बिलबिला कर बाहर आने , डसने को बेताब हो गए हैं।

नफरत और मज़हबी कट्टरता से पूरी तरह अंधे हो चुके ये -एहसानफरामोश और गद्दार चरित्र के लोग – अब अपनी सोच और व्यवहार में इतने नीचे गिर चुके हैं कि – जिस देश में आराम से मोबाइल , कम्प्यूटर पर बैठ कर वे -न सिर्फ देश को , देश के नेतृत्व को , प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से लेकर देश की पुलिस और फ़ौज को भी गालियां दे रहे हैं – वो देश , पिछले सत्तर बरसों से जिनकी कुर्बानियों जिनकी वीरता और जान लड़ा देने वाले ज़ज्बे के कारण ऐसा सुरक्षित और सुदृढ़ हो पाया है – मन वीर सैनिकों की मृत्यु पर अट्टहास लगाना -ठीक वैसा ही है जैसे कोई गिद्ध किसी मृत देह को देख कर लोलुप हो उठता है।

ऐसा नहीं है कि , देश के सबसे वीर जवानों /सैनिकों की शहादत पर अपनी नफरत का नीच व्यवहार दिखाने वालों ने पहली बार ये काम किया है बल्कि जब जब भी देश का कोई बेटा , तिरंगे में लिपटा अपने घर लौटा है इन , जाहिल जेहादियों , गद्दारों ने इसी तरह से खुशियां मना कर अपनी वहशत का सबूत दिया है। दूसरी अहम् बात ये भी है कि , वीर सैनिकों की मौत पर हंसने वालों में सिर्फ जाहिल मूर्ख मुग़ल ही शामिल नहीं हैं बल्कि , सरकारी अनुदानों , वजीफों तक पर पढ़ने वाले और पढ़ लिख कर ओहदे दार बन चुके अन्य बहुत से पढ़े लिखे जाहिल भी पूरी शिद्दत के साथ यही करते दिखाए दे रहे हैं।

इन सब घटनाओं को अपनी जेहन में इसलिए भी बिठाए रखना और याद रखना जरुरी है , क्यूंकि इन जाहिल गद्दारों के साथ -ऑंख मूँद कर और दाँत निपोर कर कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष जिस तरह से खड़ा है वही उसका असली चेहरा है और चरित्र भी। एक बात और , किसी भी बड़े लम्बरदार , ठीकेदार , असहिष्णुता गैंग , चिट्ठी लिखने और पुरस्कार वापस करने वाले किसी ने भी , एक ने भी , इन जाहिलों की ऐसी जहालत के लिए इनके ऊपर लानत नहीं भेजा ??? सबको ही साँप सूंघ गया है।

असल में ये सब , अभी शहीद हुए सैनिकों के प्रति , सीडीएस स्व. बिपिन रावत और उनके जाँबाज साथियों के विरूद्ध दिखाई गई नफरत भर नहीं है बल्कि ये सिर्फ एक बानगी भर है इस बात का कि -देश के अंदर ही -देश के गद्दारों ,राष्ट्रविरोधियों की एक ऐसी जमात पल बस रही है जो – क्रिकेट मैच में देश की हार से लेकर देश के सपूतों की मौत तक का जश्न मनाती है और देश समाज राष्ट्र सेना सभी के विरुद्ध अपने मन में ज़हर और हाथों में पत्थर लिए खडी हो जाती है। इनकी पहचान तो ज़ाहिर हो रही रही है जरूरी है कि समय के साथ साथ इनका भी मुकम्मल इलाज किया जाए।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.