6 जून सन 1674 को छत्रपति शिवाजी महाराज का न केवल राज्याभिषेक किया गया था बल्कि उस दिन हिन्दू साम्राज्य की नींव रखी गई, भारतीय शिक्षा व्यवस्था में घुसपैठ कर चुके वामी और जिहादी इतिहासकारों ने इस महानायक के साथ भले ही कितना भी अन्याय किया हो, परन्तु सूर्य के प्रकाश को जिस प्रकार बादल अधिक समय तक नहीं रोक सकते, वैसे ही छत्रपति महाराज शिवाजी की कीर्ति भी ये वामपंथी और जिहादी इतिहासकार मिटा नहीं पाए। हिन्दू साम्राज्य दिवस राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख उत्सवों में से एक है, आज जब हिंदू अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ,तो यह पर्व हर हिंदू के लिए गौरव प्रदान करने का अवसर देता है। हिंदू अपने गौरव के क्षणों को याद कर सकता है ,उसके विचारों ,अपने पूर्वजों से कुछ सीख सकता है।

हिंदू साम्राज्य दिवस को समझने से पहले आपको मुगलों तुर्को के आक्रमण के  समय की पृष्ठभूमि को जानना आवश्यक है। जब भारत पर यवन , तुर्क व मुगलों का आक्रमण हुआ। तब भारत में छोटी-छोटी रियासतें हुआ करती थी। राजा अपने और केवल अपने राज्य का ही भला चाहते थे जनता उस राजा के राज्य की सीमा को देश मानकर उसके प्रति अपनी भक्ति प्रकट किया करते थे। महत्वपूर्ण बात तो यह थी कि राजा आपस में एक दूसरे के प्रति कटुता वह अविश्वास का भाव रखते थे। आपस में लोग कटुता , संकुचित मानसिकता का एक उदाहरण जयचंद है।

आज का समाज जहां कमाई और धन का अर्जन करने में व्यस्त है। वहीं कहीं ना कहीं मानव को अपने धर्म व आस्था से विरक्त कर रहा है। इस व्यस्त जीवन में अपने गरिमा का गुणगान करने स्वयं को संगठित करने अपने को उचित जीवन शैली को अपनाने जनकल्याण भाव को जगाने के लिए हिंदू साम्राज्य दिवस मनाना वर्तमान में और उपयोगी होता जा रहा है।

आप गाहे बगाहे जिहादी मानसिकता के लोगों को खुले मंच से भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की, यहाँ निज़ाम – ए – मुस्तफा लागू करने की बात सुनते होंगे, वो कभी संकोच नहीं करते क्यूंकि उनकी नियत और लक्ष्य स्पष्ट है, पर क्या हम अपना अपने देश, संस्कृति और धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करते हैं? हिन्दू साम्राज्य का सपना केवल डॉ हेडगेवार का नहीं था, न केवल शिवाजी महाराज का था, ये सपना हमारे पूर्वजों का एक क़र्ज़ है जिसे एक दिन हमे उतारना होगा, ये सपना वीर सावरकर का भी था, वीर हकीकतराय का भी था, महाराणा प्रताप का भी था, बाजीराव पेशवा का था और असंख्य उन महावीरों का था जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, अतः हम इतने स्वार्थी कैसे हो सकते हैं की एक दूसरे को इस पुण्य दिवस पर याद दिला सकें की हमारा लक्ष्य और उद्देश्य क्या है।

आप सभी बंधुओं और भगिनियों को “हिन्दू साम्राज्य दिवस” की हार्दिक शुभकामनायें।

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