आज फिर आंध्रप्रदेश में माता सीता की मूर्ति को किसी ने तोड़ दिया हैं । इससे पहले भगवान श्री राम की 400 साल पुरानी मूर्ति का सर धड़ से अलग कर दिया गया । अभी दिल्ली में 100 साल पुराने हनुमान मंदिर को भी तोड़ दिया गया , लेकिन हम …. ?

हम सिर्फ हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे । हर कोई आता हैं और तुम्हारी बजा कर चला जाता हैं । कौन कह सकता हैं कि इस भारत भूमि पर रहने वाले हिन्दुओ की संख्या 100 करोड़ हैं । कौन कह सकता हैं कि भारत ही वह देश हैं जहां हिन्दू सुरक्षित हैं? कोई नही कह सकता कि ये देश तुम्हारा हैं ।

कोई नही क्योकि तुम्हारे अंदर नपुंसकता भर गयी हैं । तुम जातियों में बंट गए हो । तुम शेर नही गीदड़ हो गए हो … । माफी चाहता हूं गीदड़ तो फिर भी मौका देखकर अपना बदला ले लेता हैं लेकिन तुम तो गधे ठहरे । क्योकि सदियों से तुम्हारे सम्मान को पैरों तले रौंदा जा रहा हैं । तुम्हारा मान और अभिमान उस दिन भी रौंदा गया था जिस दिन तुम गुलाम थे और उस दिन भी तुम्हारी आन बान और शान का सौदा किया जा रहा हैं जब तुम आजाद हो । लेकिन तुम आज भी आजाद नही हो क्योकि अगर तुम्हें हिन्दू के नाम पर इकट्ठा किया जाए तो तुम कभी इकट्ठा नही हो सकते । हाँ अगर तुम्हें जातियों के आधार पर इकट्ठा किया जाए तो हजारों की संख्या में तुम इकट्ठे हो सकते हो । बस यही तुम्हारी रगों में बसा हैं जातिवाद … सिर्फ जातिवाद और तुम आज भी इसी के गुलाम बने बैठे हो ।

शेर भले ही जंगल का राजा होता हैं लेकिन वह भी झुंड में ही रहता हैं । जिस दिन शेर अपने झुंड से अलग हो जाता हैं उस दिन उस शेर का शिकार भेड़ियों द्वारा ही किया जाता हैं । बस तुम्हारी हालत भी झुंड से निकले शेर के जैसी हो गई हैं । तुम्हारी जातियों ने तुम्हे जंगल का राजा नही बल्कि भेड़ियों का भोजन बना दिया हैं ।

तुम कल भी एक नही थे जब तुम्हारे आराध्य श्री राम का मंदिर बाहर से आए चंद आततायीयों ने तोड़ दिया था । उस समय भी मुट्ठी भर लोगों ने उसका प्रतिकार किया था , बाकी तो अपने को क्या और लम्बी तान के सोते रहे थे । लगभग 500 साल चले संघर्ष में भी भी मुट्ठी भर लोग ही लगे रहे और उस समय भी हम सिर्फ चादर तान के सोते रहे । तुम्हारी इसी नपुंसकता के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि इस बनने वाले भव्य राम मंदिर को भी तुम बचा नही सकोगे । तुमने गुरु गोविंद सिंह के बलिदान को भुला दिया जिसने अपने प्रतीकों के सम्मान के लिए अपने आपको , और अपने परिवार का बलिदान कर दिया । तुमने छत्रपति शिवाजी को भुला दिया हैं , तुमने महाराणा प्रताप को भुला दिया है । तुमने श्री राम और कृष्ण को भुला दिया हैं ।

अरे भगवान श्री कृष्ण ने भी शिशुपाल की 100 गलतियां ही माफ की थी और इससे ज्यादा होते ही उसका सर धड़ से अलग कर दिया था । पता नही तुम किस मिट्टी के बने जो लगातार सदियों से अत्याचार को सहे जा रहे हो । कब तुम दुष्टों का विनाश करने के लिए चक्र का धारण करोगे ।

लगातर टूटती मूर्तियों और बिखरते हिन्दुओ को देखर तो मैं यही कहूंगा कि इससे अच्छा हैं कि तुम स्वयं ही अपने आराध्य की मूर्तियों और प्रतीकों को नष्ट कर दो । तुम ही अपने हाथों से मंदिर को मस्जिद बना कर दे दो । तुम ही मंदिर को अपने हाथों से चर्च में बदलकर दे दो और फिर लम्बी चादर तानकर आराम से सो जाओ । क्योकि तुम्हारे अंदर अब प्रतिकार करने की शक्ति शेष नही रही । क्योकि तुम अपने मंदिरों को बचा नही सकोगे ।

तुम्हे कोई अधिकार नही हैं नए नए मंदिर बनवाने का । तुम्हे कोई अधिकार नही हैं उस मूर्ति के सामने खड़े होकर कुछ भी मांगने का जब तुम उसकी सुरक्षा नही कर सकते । कोई अधिकार नही हैं तुम्हे हिन्दू कहलाने का ।

तुमने मंदिर सिर्फ भगवान की पूजा के लिए बनाए हैं । कभी उनके द्वारा दी गई सीख को अपनाने के लिए नही । जब तुम प्रभु श्री राम की तरह शस्त्र नही उठा सकते , जब तुम दुष्टों का विनाश नही कर सकते , जब तुम अपने सम्मान को नही बचा सकते , जब तुम श्री कृष्ण बनकर शिशुपाल का सर नही उड़ा सकते तो तुम्हे कोई अधिकार नही हैं , मंदिरों को बचाने का । कोई और आकार तुम्हारे मंदिरों को तोड़े इससे पहले तुम्हे ही इसे तोड़ देना चाहिए ।

पढ़ने वाले हर हिन्दू को मेरी बात बहुत बुरी लगेगी और मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता कि तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो क्योकि तुम नपुंसक हो चुके हो ।

अगर सच मे मर्दानगी बची है और सच मे दिल मे मेरी बातों के तीर चुभ रहे हैं और सच मे खून में रवानी और उबाल बचा हैं तो ऐसा करने वाले हर विधर्मी को उसके किये की सजा दो और प्रण करों की आज के बाद कोई मंदिर नही टूटेगा और ना ही कोई मूर्ति खंडित होगी ।

खुद खड़े होकर उतार फेंको ये जातिवाद की भेड़िए की खाल और सच मे शेर बनकर अपने अस्तित्व और अपने गौरव की रक्षा करो ।

भूमि से जगदाकाश तक ललकार कर उठो और पूरे ब्रह्मांड में गूंजा दो
जय जय श्री राम
जय जय श्री राम

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