बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म ब्रह्मास्त्र शुक्रवार को रिलीज हो गई। लेकिन जिन लोगों ने भी सिनेमाहॉल जाकर फिल्म देखी कसम से उनका माथा घूम गया. सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर निगेटिव कमेंटस देख कर ये समझा जा सकता है.
ब्रह्मास्त्र की टीम कितना भी कहे कि फिल्म पर बायकॉट ट्रेंड का असर नहीं पड़ा तो ये माना ही नहीं जा सकता, और तो और 410 करोड़ रुपए की लागत वसूलने में इन लोगों के चप्पल घिस जाएंगे. लेकिन इस बीच जिस तरह फिल्म की कमाई का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है उससे कई सवाल भी उठ रहे हैं. जहां शनिवार को करण जौहर ने ट्वीट कर फिल्म का कलेक्शन 75 करोड़ बताया था वहीं आज सोमवार को तीन दिन के अंदर ये भ्रम फैलाया जा रहा है फिल्म ने 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. 100 करोड़ के क्लब में एंट्री पाकर ब्रह्मास्त्र ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. मानो इस तरह से जनता को उल्लू नाया जा रहा है कि ब्रह्मास्त्र ने सूने पड़े बॉक्स ऑफिस में जान फूंक दी है.
लेकिन क्या सच में इतनी कमाई हुई है? क्या बॉयकॉट कैंपेन अभियान औंधे मुंह गिरा? कम से कम ब्रह्मास्त्र फिल्म की गुणवत्ता को देखकर तो ऐसा नहीं लगता। फिल्म की स्क्रीनप्ले और कहानी की कमजोर कड़ियों ने रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ को हद दर्जे के खराब रिव्यू दिलाए हैं। इसमें कहीं न कहीं से ब्रह्मास्त्र को हिट दिखाने के लिए बुकिंग स्कैम की बू आ रही है. फिल्म को लेकर जारी तमाम तरह की चर्चाओं में बुकिंग स्कैम का भी एक एंगल है. जिसकी तरफ कंगना रनौत ने भी इशारा किया है. उन्होंने एक इंस्टाग्राम स्टोरी में आरोप लगाया कि ब्रह्मास्त्र को हिट दिखाने के लिए कुछ ट्रेड एनालिस्ट बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों में हेरफेर कर रहे हैं. वैसे अब तक जो ट्रेड एक्सपर्ट आंकड़े देते हैं वे भी इस्टीमेट ही बता रहे.
वहीं सोशल मीडिया पर जो रिव्यू शेयर किये जा रहे हैं, सिनेमाहॉल के अंदर कुर्सियां खाली दिख रही है ऐसे में कैसे फिल्म की कमाई बंपर दिखाई जा रही है? वहीं कुछ मीडिया ये बता रही है फिल्म ब्रह्मास्त्र का डंका देशभर में बज रहा है, फिल्म की दमदार कमाई हो रही है और तो और प्रेग्नेंट आलिया भट्ट का ग्लो और भी निखर गया है. वहीं पापा बनने वाले रणबीर कपूर भी ब्रह्मास्त्र की सफलता से फूले नहीं समा रहे हैं. मतलब करण जौहर की चाटुकारिता की हद है!
अब बताइए इस तरह से झूठ फैलाकर जनता को भ्रमित करने का काम नहीं किया जा रहा? तभी तो हम इसे ‘ब्रह्मास्त्र’ नहीं ‘भ्रमास्त्र’ कह रहे हैं!
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