अजमेर शरीफ चिश्ती दरगाह बलात्कार काण्ड….
देश का सबसे बड़ा बलात्कार कांड का घिनोना सच जिसका कोर्ट ने फैसला अब सुनाया।

सन् 1992 लगभग 25 साल पहले सोफिया गर्ल्स स्कूल अजमेर की लगभग 250 से ज्यादा हिन्दू लडकियों का रेप जिन्हें लव जिहाद/प्रेमजाल में फंसा कर,न केवल सामूहिक बलात्कार किया* बल्कि एक लड़की का रेप कर उसकी फ्रेंड/भाभी/बहन आदि को लाने को कहा,एक पूरा रेप चेन सिस्टम बनाया जिसमें पीड़ितों की न्यूड तस्वीरें लेकर उन्हें ब्लैकमेल करके यौन शोषण किया जाता रहा !

फारूक चिश्ती,नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती, इस बलात्कार कांड के मुख्य आरोपी थे, तीनों अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम (केयरटेकर) के रिश्तेदार/वंशज तथा कांग्रेस यूथ लीडर भी! फारूक चिश्ती ने सोफिया गर्ल्स स्कूल की 1 हिन्दू लड़की को प्रेमजाल में फंसा कर एक दिन फार्म हाउस पर ले जा कर सामूहिक बलात्कार करके, उसकी न्यूड तस्वीरें लीं और तस्वीरो से ब्लैकमेल कर उस लड़की की सहेलियों को भी लाने को कहा, एक के बाद एक लड़की के साथ पहले वाली लड़की की तरह फार्म हाउस पर ले जाना बलात्कार करना न्यूड तस्वीरें लेना,ब्लैकमेल कर उसकी भी बहन/सहेलियों को फार्म हाउस पर लाने को कहना और उन लड़कियों के साथ भी यही घृणित कृत्य करना।

इस चेन सिस्टम में लगभग 250 से ज्यादा लडकियों के साथ भी वही शर्मनाक कृत्य किया !

उस जमाने में आज की तरह डिजिटल कैमरे नही थे।रील वाले थे।रील धुलने जिस स्टूडियो में गयी वह भी चिश्ती के दोस्त और मुसलमान समुदाय का ही था।उसने भी एक्स्ट्रा कॉपी निकाल लड़कियों का शोषण किया।ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता,सरकारी अधिकारी भी शामिल थे !

आगे चलकर ब्लैकमैलिंग में और भी लोग जुड़ते गये।

आखिरी में कुल 18 ब्लैकमेलर्स हो गये। बलात्कार करने वाले इनसे तीन गुने।

इन लोगों में लैब के मालिक के साथ-साथ नेगटिव से फोटोज डेवेलप करने वाला टेकनिशि- यन भी था।यह ब्लैकमेलर्स स्वयं तो बलात्कार करते ही, अपने नजदीकी अन्य लोगों को भी “ओब्लाइज” करते थे।

इसका खुलासा हुआ तो हंगामा हो गया।इसे भारत का अब तक का सबसे बडा सेक्स स्कैंडल माना गया।इस केस ने बड़ी-बड़ी कोंट्रोवर्सीज की आग को हवा दी।जो भी लड़ने के लिए आगे आता,उसे धमका कर बैठा दिया जाता। अधिकारियों ने कम्युनल टेंशन न हो जाये,इसका हवाला दे कर आरोपियों को बचाया।

अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम(केयरटेकर) चिश्ती परिवार का खौफ इतना था, जिन लड़कियों की फोटोज खींची गई थीं,उनमें से कईयों ने सुसाइड कर लिया।एक समय अंतराल में 6-7 लड़कियां ने आत्महत्या की। न सोसाइटी आगे आ रही थी, न उनके परिवार वाले।उस समय की ‘मोमबत्ती गैंग’भी लड़कियों की बजाय आरोपियों को सपोर्ट कर रही थी।डिप्रेस्ड होकर इन लड़कियों ने आत्म- हत्या जैसा कदम उठाया।एक ही स्कूल की लड़कियों का एक साथ सुसाइड करना अजीब सा था।

सब लड़कियां नाबालिग और 10वी,12वी में पढने वाली मासूम किशोरियां।आश्चर्य की बात यह कि रेप की गई लड़कियों में आईएएस, आईपीएस की बेटियां भी थीं। ये सब किया गया अश्लील फोटो खींच कर।पहले एक लड़की, फिर दूसरी और ऐसे करके 250 से ऊपर लड़कियों के साथ हुई ये हरकत।ये लड़कियां किसी गरीब या मिडिल क्लास बेबस घरों से नहीं,बल्कि अजमेर के जाने-माने घरों से आने वाली बच्चियां थीं।

वो दौर सोशल मीडिया का नहीं पेड/ बिकाऊ मीडिया का था। फिर पच्चीस तीस साल पुरानी ख़बरें कौन याद रखता है ?

ये वो ख़बरें थी जिन्हें कांग्रेसी नेताओं ने वोट और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए दबा दिया था !

पुलिस के कुछ अधिकारियों और इक्का दुक्का महिला संगठनों की कोशिशों के बावजूद लड़कियों के परिवार डर से आगे नहीं आ रहे थे।

इस गैंग में शामिल लोगों के कांग्रेसी नेताओं और खूंखार अपराधियों तथा चिश्तियों से कनेक्शन्स की वजह से लोगों ने मुंह नहीं खोला। बाद में फोटो और वीडियोज के जरिए तीस लड़कियों की शक्लें पहचानी गईं।इनसे जाकर बात की गई।केस फाइल करने को कहा गया लेकिन सोसाइटी में बदनामी के नाम से बहुत परिवारों ने मना कर दिया। बारह लड़कियां ही केस फाइल करने को तैयार हुई।बाद में धमकियां मिलने से इनमे से भी दस लड़कियां पीछे हट गई। बाकी बची दो लड़कियों ने ही केस आगे बढ़ाया।

इन लड़कियों ने सोलह आदमियों को पहचाना।
ग्यारह लोगों को पुलिस ने अरेस्ट किया।

जिला कोर्ट ने आठ लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई।इसी बीच मुख्य आरोपियों में से फारूक चिश्ती का मानसिक संतुलन ठीक नहीं का सर्टिफिकेट पेश कर फांसी की सजा से बचा कर 10 साल की सजा का ही दंड मात्र दिया। अजमेर बलात्कार काण्ड के अपराधी चिश्तियों में से कोई भी अब जेल में नहीं है।बाकी आप जोड़ते रह सकते हैं,एक बलात्कार की सजा 10 साल तो लगभग 250 बलात्कार की सजा कितनी होगी ?

कठुआ रेप केस को मंदिर में बलात्कार,बलात्कारी हिन्दू कहकर बदनाम किया गया था खेद है कि आज कोई विकाऊ मीडिया वाला इसे दरगाह के खादिमों द्वारा बलात्कार और मुस्लिम बलात्कारी नहीं कहता !

मैं पूछना चाहता हूं, क्या ख्वाजा की मजार पर मन्नते मांगने वाले हिन्दू ख्वाजा से ये सवाल पूछेंगे कि जब सैकड़ों लड़कियों की अस्मत उनके ही वंशजों द्वारा लूटी जा रही थी तब वे कहाँ थे ? किसकी मन्नत पूरी कर रहे थे ? ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मन्नतें मांगने वालों को विचार करना चाहिए कि कहीं वे वहां जा कर पाप तो नहीं कर रहे ?

गूगल पर ” chisti rape kand ” likh kr search kare, details aa jayega.

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